Samastipur News:समस्तीपुर : शिक्षा विभाग ने कक्षा 6 से 8 तक के छात्र-छात्राओं को प्रोजेक्ट आधारित शिक्षा देने की पहल की है. इस दिशा में विज्ञान और गणित के शिक्षकों को माइक्रो इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट के तहत बच्चों को पढ़ाने का निर्देश जारी किया गया है. यह प्रोजेक्ट बारकोड के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है, जिसे शिक्षक स्कैन कर आवश्यक दिशा-निर्देश प्राप्त करेंगे और उसी के अनुरूप बच्चों को पढ़ायेंगे. विभाग का मानना है कि केवल पुस्तक आधारित शिक्षा बच्चों को लंबे समय तक याद नहीं रहती, जबकि प्रायोगिक पद्धति से दी गई शिक्षा अधिक प्रभावी होती है और बच्चों के जीवन में उपयोगी सिद्ध होती है. डीपीओ एसएसए जमालुद्दीन ने स्पष्ट किया कि गणित और विज्ञान दोनों ही प्रयोगात्मक विषय हैं, इसलिए इन्हें अनुभव और प्रयोग के जरिए समझाना बच्चों के लिए अधिक लाभदायक होगा. मध्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और संबंधित शिक्षकों को विभागीय निर्देश भेजे जा चुके हैं. शिक्षकों ने बताया कि प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग के तहत दी जा रही यह नई शिक्षा प्रणाली बच्चों को बेहद पसंद आ रही है. इससे न सिर्फ पढ़ाई में उनकी रुचि बढ़ी है, बल्कि विषयों को समझना भी सरल हो गया है. उल्लेखनीय है कि जून महीने में भी इसी पहल के तहत कक्षा 6 से 8 के छात्रों को विज्ञान और गणित की पढ़ाई कराई गई थी. उत्क्रमित मध्य विद्यालय लगुनियां सूर्यकण्ठ के एचएम सौरभ कुमार ने बताया कि मिडिल स्कूलों में विद्यार्थियों को अब विज्ञान विषय की बेहतर शिक्षा मिल सकेगी. जिससे उनमें विज्ञान के प्रति बेहतर समझ विकसित होगा. मिडिल स्कूलों के कक्षा छठी से आठवीं तक के विद्यार्थियों को विज्ञान की बेहतर शिक्षा देने के लिए नई योजना की शुरुआत की जा रही है. बच्चों को प्रोजेक्ट के माध्यम से विज्ञान की शिक्षा दी जायेगी. माइक्रो इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट के तहत इसे कार्यान्वित किया जायेगा. बेस्ट लर्निंग पर आधारित इस योजना के तहत बच्चे प्रोजेक्ट तैयार कर पढ़ाई करेंगे. राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद की ओर से योजना तैयार की गई है. योजना के तहत कक्षा छठी, सातवीं व आठवीं के बच्चों को विज्ञान की शिक्षा से जोड़ने के लिए एससीआरटीई की ओर से जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है. इस योजना के तहत विज्ञान की पढ़ाई को प्रभावी बनाने के लिए छठी से आठवीं तक की कक्षाओं की विज्ञान की किताबों में शामिल शीर्षक के अनुरूप प्रोजेक्ट तैयार किए गए हैं. इसमें गतिविधियों को व्यवस्थित किया गया है। जिससे बच्चों को प्रोजेक्ट देखकर चेप्टर को समझने में आसानी होगी.
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