Samastipur News:पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित ईख अनुसंधान संस्थान के प्रक्षेत्र में गन्ने की लालसर रोग प्रतिरोधी क्लोन की सीधा रोपाई की गयी. इस दौरान मौजूद वैज्ञानिक सह परियोजना के पीआई डा बलवंत कुमार ने बताया कि गन्ना उत्पादक किसानों के हित में लालसर रोग प्रतिरोधी किस्मों के विकास के लिए संकरण से जो भी हाइब्रिड बिचड़ा तैयार किया गया है उसकी रोपाई किया जा रही है. द्रुतगामी गति से एक वर्ष की बचत करते हुए अगले वर्ष क्लोनल प्रत्यक्षण में लगाया गया है. पीआई डा कुमार के द्वारा कोयंबतूर के गन्ना राष्ट्रीय संकरण बगीचा में बनाया गया था. कुछ प्री ब्रीडिंग मटेरियल भी लालसर रोग प्रतिरोधी, सूखा एवं जल जमाव प्रतिरोधी हाइब्रिड भी पूसा संस्थान को दिया गया. जिसका बिचड़ा भी लगाया गया है. गन्ने की किसी भी प्रभेद को विकसित होने में करीब 10 से 12 वर्ष का समय लग जाते हैं. इस परियोजना के माध्यम से चयनित क्लोन को लालसर रोग से ग्रसित किया जाता है. उसमें से प्रतिरोधक क्लोन का चयन किया जायेगा. परियोजना सह अन्वेषक डा एसएन सिंह ने कहा कि इस प्रत्यक्षण के दौरान चयनित क्लोन को लगातार लालसर रोग से गुजरना पड़ेगा जो क्लोन प्रभावित नहीं होगा वही क्लोन आगे के लिए चयन किया जायेगा. इधर, बायोटेक्नोलॉजी के कार्य में डा विष्णुदेव प्रसाद ने कहा कि इसी क्लोन को जैव प्रौद्योगिकी की अध्ययन करेंगे. ताकि वैसे जीन का पता लगाया जा सके जो लालसर रोग के प्रतिरोधी हो सके. संस्थान के निदेशक डा देवेंद्र सिंह ने कहा कि संस्थान में हाइब्रिड बिचड़े उगाने के लिए नेट हाउस उपलब्ध है. जिसने इस वर्ष पूसा एवं कल्याणपुर फार्म को मिलाकर करीब 16 हजार बिचड़ा लगाया गया है. इसे दो महीने के बाद सेकेंड राउंड के नर्सरी में ट्रांसप्लांटिंग किया जायेगा. मौके पर ब्रजभूषण प्रसाद सिंह, अर्जुन राय आदि मौजूद थे.
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