Samastipur News: मोरवा : युवाओं में आंखों की बीमारियों की समस्या तेजी से बढ़ रही है. इस बाबत मोरवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सर्जन डॉ केसी विद्यार्थी ने बताया कि इसके पीछे कई कारण हैं. इसमें जीवनशैली, खानपान और तकनीकी उपकरणों का अत्यधिक उपयोग प्रमुख हैं. मोबाइल और कंप्यूटर का अत्यधिक उपयोग आंखों के लिए सबसे ज्यादा घातक साबित हो रहा लगातार स्क्रीन देखने से डिजिटल आई स्ट्रेन होता है. इससे निकलने वाली रेडिएशन और ब्लू लाइट से आंखों पर बुरा असर पड़ता है. काम के बढ़ते बोझ और अनियमित जीवनशैली के कारण खासकर युवा वर्ग के लोग भरपूर नींद नहीं ले पाते. नींद की कमी के कारण भी पर्याप्त नींद न लेने से आंखें सूज जाती है. थकावट महसूस होती है. जिससे रोशनी प्रभावित होता है. युवाओं में अनियमित खानपान का चलन हो गया है. पोषणयुक्त भोजन के बदले फास्ट फूड पर युवा वर्ग ज्यादा जोर दे रहे हैं. पोषण की भी कमी से भी आंखों की रोशनी प्रभावित होती है. विटामिन ए, सी और ई की कमी से आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है. तेज धूप से निकलने वाली रेडिएशन भी आंखों को नुकसान पहुंचाता है. धूम्रपान और शराब का बढ़ता क्रेज भी आंखों की रोशनी के लिए नुकसानदायक होता है. मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है. डॉक्टर ने बताया कि युवाओं में आजकल तेजी से ड्राई आइस सिंड्रोम, मायोपिया, कंजेक्टिवाइटिस, आंखों में जलन, धुंधलापन, एलर्जी और रेटिनोपैथी जैसी समस्या लगातार बढ़ रही है. इन बीमारियों से बचने के लिए लोगों को कुछ उपाय करने की जरूरत है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है