प्रदर्शनकारियों ने मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते हुये जुलूस निकाला
Samastipur News:समस्तीपुर : मांगों को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों ने महासंघ स्थल से जुलूस निकाल सिविल सर्जन कार्यालय पर प्रदर्शन किया. जुलूस महासंघ स्थल से निकलकर शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुये सिविल सर्जन कार्यालय पहुंचा. प्रदर्शकारी अपनी हाथों में मांगों से संबंधित तख्तियां लिये हुये थे. प्रदर्शनकारी एएनएम और लिपिक संवर्ग का राज्य संवर्ग करने के फैसले को वापस लेने, संविदा कर्मियों का पिछले हड़ताल अवधि का वेतन भुगतान करने, सभी ठेका, संविदा आउटसोर्सिंग पर कार्यरत कर्मियों को स्थायी करने, न्यूनतम वैधानिक मजदूरी 20000 रुपये देने, एसीपी की तरह एमएसीपी में पद सोपान के अनुरूप ग्रेड पे देने, रिक्त, पदों पर स्थायी बहाली करने, पुराना पेंशन लागू करने, एएनएम और जीएनएम का सेवा संपुष्ट करने, सभी स्वास्थ्य उपकेन्द्रों पर डाटा ऑपरेटर बहाल करने, सभी स्वास्थ्य उपकेन्द्रों पर डाटा ऑपरेटर बहाल करने, समय बीाम योजना के तहत कैशलेश इलाज की व्यवस्था करने, एनएचएम के तहत चल रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों में व्याप्त भ्रष्टाचार की खुली जांच कराने, आशा, ममता, कुरियर के बकाया मानदेय प्रोत्साहन राशि का भुगतान करने, संविदा पर कार्य कर रहे 50 एनएम को संविदा अवधि का वेटेज देते हुए नियमित करने आदि की मांग कर रहे थे. प्रदर्शनकारी स्वास्थ्य मंत्री नारेबाजी कर रहे थे. प्रदर्शनकारी सिविल सर्जन कार्यालय पहुंचकर वहां भी मांगों के समर्थन में नारे लगाये. बाद में सिविल सर्जन के बुलावे पर सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल उनसे मिलकर मांगों का ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधि मंडल में अरुण कुमार सिंह, लक्ष्मी कान्त झा, राम कुमार झा. अवलेश कुमारी, बिंदु कुमारी सिंह, रंजना कुमारी, उत्कर्ष कुमार, धर्मेन्द्र कुमार सिंह, रेखा कुमारी, पूजा भारती, विनिता वर्मा शामिल थे. प्रतिनिधि मंडल ने स्थानीय समस्याओं से संबंधित ज्ञापन सौंपा. बाद में अवलेश कुमारी की अध्यक्षता में सभा हुई. जिसे संबोधित करते हुए जिला मंत्री राजीव रंजन ने कहा कि बिहार की सरकार तानाशाही रवैया अपनाये हुए है. स्वास्थ्य मंत्री सोए हुए हैं, कर्मचारियों से बंधुआ मजदूर की तरह व्यवहार करते हैं. स्वास्थ्य विभाग ने मनमानी करते हुए तृतीय संवर्ग के एएनएम एवं लिपिक का संवर्ग राज्य स्तरीय करके अल्प वेतन भोगी कर्मियों को तबाह करने का निर्णय लिया है. इसे राज्य के स्वास्थ्य कर्मचारी स्वीकार नहीं करेंगे. स्वास्थ्य मंत्री अपने ही वादे से मुकर रहे हैं. आश्वासन के बावजूद आजतक संविदा कर्मियों के हडताल अवधि का वेतन भुगतान नहीं किये हैं. इतना ही नहीं आशा एवं आशा फैसीलीटेटर के मानदेय में बढ़ोतरी का आदेश आजतक नहीं निकला, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आने वाले दिनों में आरपार की लड़ाई को मजबूर होंगे. जिला मंत्री ने सिविल सर्जन से एनएचएम के कार्यक्रमों में व्याप्त भ्रष्टाचार की खुली जांच की मांग की. जिला मंत्री ने कहा कि प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है. एक कमेटी बनाकर इसकी खुली जांच करायी जाये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है