छपरा. छपरा नगर निगम की करीब तीन लाख की आबादी को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है. वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बहुप्रतीक्षित विकास योजनाओं का बजट पारित नहीं हो सका. गुरुवार को नगर निगम की बजट संपुष्टि बैठक पार्षदों के बहिष्कार की भेंट चढ़ गयी. एक तरफ पार्षद इस स्थिति के लिए महापौर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, तो दूसरी ओर महापौर पार्षदों को दोषी बता रहे हैं. इस खींचतान में आम जनता पिस रही है और तय माना जा रहा है कि आगामी मानसून में शहर की सड़कें नहीं बनेंगी और बाकी विकास कार्य भी अधर में लटक जायेंगे.
बैठक में हंगामा और बहिष्कार
नगर आयुक्त सुनील कुमार पांडे ने सुबह 11 बजे बजट संपुष्टि बैठक की समय निर्धारित की थी, लेकिन बैठक आधे घंटे की देरी से 11:30 बजे शुरू हुई. पार्षदों ने जैसे ही उपस्थिति दर्ज करायी, बैठक में टोका-टोकी शुरू हो गयी. पार्षदों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब 2024-25 के बजट का पैसा ही खर्च नहीं हुआ और योजनाएं धरातल पर नहीं उतरीं, तो नये बजट का क्या औचित्य है? पहले पुराने बजट की राशि से काम करायें, फिर नये बजट पर चर्चा हो.
महापौर ने प्रशासनिक खामियों को बताया जिम्मेदार
महापौर लक्ष्मी नारायण गुप्ता ने सफाई देते हुए कहा कि 2024-25 में नगर निगम का बजट 407 करोड़ रुपये का था, लेकिन नगर निगम में कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता और कनीय अभियंता की कमी के कारण सितंबर 2024 के बाद से कोई कार्य नहीं हो पाया. इस कारण योजनाओं की राशि लौट गयी. पार्षदों ने जवाब में कहा कि अफसरों की लापरवाही का खामियाजा जनता और वे क्यों भुगतें? इसके लिए पूरी तरह से नगर प्रशासन जिम्मेदार है.पार्षदों में उपस्थिति को लेकर भी असमंजस
एक पार्षद ने कहा कि पिछले साल की तरह इस बार भी बैठक में उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर कराने की कोशिश की गयी. लेकिन डर है कि उपस्थिति को बजट पारित मान लिया जाये, इसलिए अब हस्ताक्षर करने में भी संकोच हो रहा है.
जनता में बढ़ती नाराजगी
बजट पारित न होने से आम जनता में गहरी नाराजगी है. नागरिकों का कहना है कि महापौर और पार्षदों की आपसी खींचतान में विकास योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं. करोड़ों की राशि लौट गयी और शहर की हालत जस की तस बनी हुई है. इस बार के बजट में हर वर्ग के लिए योजनाएं थी और कोई नया टैक्स लगाने की योजना नहीं थी. लेकिन टैक्स वसूली एजेंसी का विरोध उप महापौर द्वारा ही किया गया, जिसे बोर्ड स्तर पर सुलझाया जा सकता था. बैठक में उपमहापौर रागिनी देवी, नगर आयुक्त सुनील कुमार पांडे, उप नगर आयुक्त सुनील कुमार सहित कई सशक्त स्थायी समिति के सदस्य व पार्षद जैसे नेहा देवी, उर्मिला देवी, कृष्ण कुमार शर्मा, हेमंत कुमार, अजय कुमार साह, संजय प्रसाद, काजल कुमारी, सुनीता देवी, नरगिस बानो, बबीता सिंह, रेशमा खातून, किरण देवी, संतोष कुमार, चंद्रदीप राय, राजाबाबू चौधरी श्याम, सुजीत कुमार मोर, रमाकांत सिंह, उषा देवी, राजू श्रीवास्तव, मालती देवी, रीना कुमारी, कुंती देवी आदि उपस्थित रहे.मेरा प्रयास है कि बजट पास हो जाये
मेरा प्रयास है कि बजट पास हो जाए ताकि शहर का विकास हो सके. जो लोग विरोध कर रहे हैं वे नहीं समझ रहे हैं कि जिस समय रुपया आया था उस समय निगम में इंजीनियरिंग सेक्शन में अधिकारी ही नहीं थे. इसमें हमारा दोष कहां है. अगली बैठक के लिए पार्षदों को समझाया जा रहा है बजट पास होते हैं योजनाएं रफ्तार पकड़ेगी.लक्ष्मी नारायण गुप्ता, महापौर, नगर निगम
महापौर की चल रही है मनमानी
महापौर की मनमानी चल रही है. वह अपने हिसाब से निगम को चलाना चाहते हैं. उनकी लापरवाही की वजह से रुपये लौट गये. यदि उन्होंने थोड़ी तत्परता दिखाई होती और निगम में राजनीति नहीं की होती तो आज हर वार्ड में काम होता दिखता. स्ट्रीट लाइट से लेकर सभी योजनाएं धरातल पर होती.रागिनी कुमारी, उपमहापौर, नगर निगममहापौर कि वजह से सड़के निर्माण नहीं हो पायी
महापौर कि वजह से मानसून के पहले सभी सड़के निर्माण नहीं हो पायी. वह हर बिंदु पर राजनीति कर रहे हैं. यदि यही स्थिति रही तो जनता सड़क पर आ जायेगी.रमाकांत सिंह उर्फ डब्ल्यू, पूर्व उपमेयरडेढ़ साल में नहीं हुआ है एक भी काम
मेरे कार्यकाल में बजट के दौरान जो निर्णय होता था उसे पर तुरंत काम शुरू हो जाता था. लेकिन वर्तमान महापौर के कार्यकाल में सरकारी रुपये का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है. डेढ़ साल में एक भी काम नहीं हुआ है.सुनीता देवी, पूर्व मेयर, नगर निगमडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है