मशरक. मानसून की बेरुखी ने क्षेत्र में गहराता जल संकट पैदा कर दिया है. खेत, खलिहान, पोखर और चंवर सब सूखे पड़े हैं. लगातार बारिश नहीं होने से भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है, जिससे सैकड़ों चापाकल सूख गये हैं और लोगों को पेयजल के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मशरक मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों तक नलजल योजना पहले से ही चरमराई हुई है. अब चापाकल सूखने से हालात और बिगड़ गये हैं. ग्रामीण मिस्त्रियों और चापाकल मरम्मत दुकानदारों के पास दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन पानी निकलने की कोई गारंटी नहीं है. चापाकल पोलम्बर व्यवसायी अजय कुमार, राजू कुमार, रोहित कश्यप और मिस्त्री संजीत कुमार व अरुण शर्मा ने बताया कि पिछले एक साल से अब तक अच्छी बारिश नहीं हुई, जिससे भूजल स्तर लगातार गिर रहा है. अब हालात यह हो गये हैं कि कई चापाकल बिल्कुल सूख चुके हैं और लोग इधर-उधर से पानी जुटाने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने बताया कि पहले भी सूखे के हालात देखे गये हैं, लेकिन सावन महीने में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब खेत और चंवर दोनों सूखे हैं और पेयजल संकट चरम पर है. धान की रोपनी की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है. खेतों में पानी नहीं होने से 10 प्रतिशत भी रोपनी नहीं हो पाई है. जिन किसानों ने बोरिंग के सहारे बिचड़े तैयार किये थे, अब वे भी सूखने लगे हैं. इधर, नदी और नहरों में भी पानी नहीं है, जिससे किसान, पशुपालक और आमजन सभी पानी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. अगर जल्द मानसून सक्रिय नहीं हुआ, तो खेती और पेयजल दोनों पर संकट और गहरा सकता है. इधर, नदी और नहरों में भी पानी नहीं है, जिससे किसान, पशुपालक और आमजन सभी पानी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. अगर जल्द मानसून सक्रिय नहीं हुआ, तो खेती और पेयजल दोनों पर संकट और गहरा सकता है. इधर, नदी और नहरों में भी पानी नहीं है, जिससे किसान, पशुपालक और आमजन सभी पानी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. अगर जल्द मानसून सक्रिय नहीं हुआ, तो खेती और पेयजल दोनों पर संकट और गहरा सकता है. इधर, नदी और नहरों में भी पानी नहीं है, जिससे किसान, पशुपालक और आमजन सभी पानी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. अगर जल्द मानसून सक्रिय नहीं हुआ, तो खेती और पेयजल दोनों पर संकट और गहरा सकता है.
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