Shaheed Mohammad Imtiyaz: जम्मू के आर.एस. पुरा सेक्टर में पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हुए BSF सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज को सोमवार को उनके पैतृक गांव, छपरा जिले के नारायणपुर में राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया. पूरे गांव में मातम पसरा था, मगर गर्व की भावना भी उतनी ही प्रबल थी. अंतिम संस्कार के वक्त ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद इम्तियाज अमर रहें’ के नारों से आसमान गूंज उठा.
10 मई को पाकिस्तान की ओर से हुई फायरिंग में इम्तियाज गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इलाज के दौरान उनकी जान नहीं बच सकी. सोमवार को उनका पार्थिव शरीर विशेष विमान से दिल्ली से पटना लाया गया, जहां से सड़क मार्ग से छपरा भेजा गया. बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शहीद के घर पहुंचेंगे और श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही परिजनों को कुल 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता भी प्रदान करेंगे. मुख्यमंत्री राज्य सरकार की तरफ से 21 लाख रुपए और मुख्यमंत्री राहत कोष से 29 लाख रुपए यानी कुल पचास लाख रुपए का चेक सौंपेंगे.
फौजियों के लिए शहादत सबसे बड़ा धर्म होता है…
शहीद इम्तियाज के बेटे इमदाद रजा ने मीडिया से बातचीत में भावुक होते हुए कहा, “पापा ने सिखाया था कि फौजियों के लिए शहादत सबसे बड़ा धर्म होता है. अगर बिहार महावीर और बुद्ध की धरती है, तो ये महाराणा प्रताप की भी है. दुश्मन अगर अपनी हरकतों से बाज नहीं आए, तो हम सब शहादत के लिए तैयार हैं. सबसे पहले मैं ही लाइन में खड़ा रहूंगा.”
इम्तियाज के दूसरे बेटे इमरान, जो कि मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, ने पटना एयरपोर्ट पर पिता के शव को देखकर खुद को रोक नहीं सके. आंखों में आंसू लिए उन्होंने कहा, “आई एम प्राउड ऑफ यू, पापा. मैं सरकार से अपील करता हूं कि पाकिस्तान को सख्त सजा दी जाए ताकि किसी और बेटे के सिर से उसके पिता का साया न छिने.”
आखिरी बार फोन पर बेटे से हुई थी बात
इमरान ने बताया कि आखिरी बार फोन पर पिता ने कहा था, “आतंकियों के हमले में घायल हो गया हूं, पैर में चोट आई है.” उन्होंने तत्काल दिल्ली के लिए फ्लाइट पकड़ी और फिर ट्रेन से जम्मू पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. ईद से ठीक 18 दिन पहले ही इम्तियाज घर आए थे और कुछ वक्त अपने परिवार के साथ बिताया था. किसी को क्या पता था कि यह उनकी आखिरी ईद होगी. आज उनकी शहादत सिर्फ एक परिवार का नहीं, पूरे देश का गर्व बन गई है.