छपरा. नगर निगम का सालाना बजट साफ-सफाई, सफाई संसाधनों की खरीद, ड्रेनेज मरम्मत और एनजीओ के जरिये सफाई व्यवस्था पर करीब 20 फीसदी खर्च हो रहा है. इसके बावजूद शहर की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. तीन-चार सालों में सफाई बजट में बढ़ोतरी और मास्टर प्लान के बावजूद सैकड़ों स्थानों पर कचरे के ढेर और जाम नालों ने नगर निगम की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिये हैं.
नगर निगम हर महीने करीब 95 लाख रुपये सफाई पर खर्च कर रहा है, फिर भी हालात नारकीय हैं. शहर की प्रमुख नाली खनुआ नाला कई जगहों पर जाम है, जिसकी समय पर उड़ाही न होने से जलजमाव की स्थिति बनी हुई है. डिप्टी मेयर रागिनी देवी ने भी खनुआ नाले के मेंटेनेंस की धीमी रफ्तार को स्वीकारा है और सुधार के निर्देश दिये हैं.नालों की उड़ाही में लापरवाही, जलनिकासी बाधित
शहर के अधिकतर नालों की उड़ाही नियमित नहीं हो रही. खासकर बरसात से पहले उड़ाही का दावा किया जाता है, लेकिन बरसात के आते ही सड़कों पर चलना मुश्किल हो जाता है. जलनिकासी के बाहरी रास्ते या तो बंद हैं या अतिक्रमण की चपेट में हैं. यही वजह है कि शहर की पुरानी हो या नयी सड़कें, सभी जगह जलजमाव और कीचड़ से लोग परेशान हैं.बाजारों की हालत सबसे ज्यादा खराब, कारोबारी परेशान
छपरा के सरकारी बाजार, मौना बाजार, साहेबगंज, सोनारपट्टी और गुदरी बाजार जैसे प्रमुख व्यवसायिक क्षेत्रों की हालत सबसे दयनीय है. यहां रोजाना हजारों लोग खरीदारी के लिए आते हैं. ये बाजार नगर निगम को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले क्षेत्रों में शामिल हैं, फिर भी सफाई और जलजमाव की समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है.100 से ज्यादा डंपिंग जोन, डोर-टू-डोर कलेक्शन ठप
नगर क्षेत्र में 100 से अधिक डंपिंग स्पॉट बन चुके हैं. डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण की गति धीमी है, जिस कारण रिहायशी इलाकों और बाजारों में सड़क पर ही कचरा डंप कर दिया जाता है. बरसात में यह कचरा कीचड़ में तब्दील हो जाता है, जिससे आम लोगों का आवागमन दुश्वार हो जाता है.एजेंसी को दिये गये हैं सख्त निर्देश
शहर में साफ-सफाई के लिए सभी संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है. खनुआ नाले की सफाई धीमी जरूर है, लेकिन एजेंसी को सख्त निर्देश दिये गये हैं. बहुत जल्द स्थिति सुधरेगीरागिनी देवी, डिप्टी मेयर, छपरा नगर निगमडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है