छपरा. जिले में इस बार मानसून ने किसानों से मुंह मोड़ लिया है. जून और जुलाई की शुरुआती 12 दिनों में जरूरत से 86 फीसदी कम बारिश हुई है, जिससे धान की फसल पर गंभीर संकट मंडराने लगा है. मौसम की बेरुखी ने रबी फसल से नुकसान झेल चुके किसानों की खरीफ उम्मीदें भी तोड़ दी हैं.
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, जून में अपेक्षित वर्षा 133 मिमी होने का अनुमान था, लेकिन हुई सिर्फ 41 मिमी. वहीं जुलाई में अपेक्षित वर्षा का अनुमान 318 मिमी था, लेकिन अब तक 15 मिमी ही बारिश हो पायी है. आमतौर पर जुलाई में अच्छी वर्षा होती है, लेकिन इस बार धूप और लू जैसे हालात बने हुए हैं. धान की नर्सरी सुख रही है और किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं. किसानों का कहना है कि आसमान में बादल तो दिखते हैं, लेकिन धरती पर कदम नहीं रख रहे.अब बोरवेल, नहर और डीजल अनुदान ही सहारा
बारिश के अभाव में किसान बोरिंग और नहरों से सिंचाई की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह प्रक्रिया महंगी और सीमित है. डीजल अनुदान पर अब सारी उम्मीद टिकी है, लेकिन अभी तक न तो घोषणा हुई है, न सर्वे. जिले की खेती वर्षा पर निर्भर है. यहां के अधिकांश किसान के पास सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. अगर बारिश नहीं हुई, तो लागत डूब जायेगी. खाद-बीज का उधार चुकाना मुश्किल हो जायेगा.क्या कहते हैं जिला कृषि पदाधिकारी
अभी तक सुखाड़ को लेकर कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है. बावजूद विभाग अपने तरफ से पूरी तैयारी कर रहा है कि किसानों को परेशानी नहीं हो. डीजल अनुदान के लिए जैसे ही घोषणा होगी आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी.मधुरेंद्र कुमार सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी
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