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Chapra News : जिले के प्रमुख बाजारों में पेयजल, पार्किंग और शौचालय की व्यवस्था नहीं, लोग हो रहे हैं परेशान

Chapra News : निगम का दर्जा मिलने के वर्षों बाद भी छपरा शहर के प्रमुख बाजार आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं.

छपरा. निगम का दर्जा मिलने के वर्षों बाद भी छपरा शहर के प्रमुख बाजार आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. चाहे बात हो सरकारी बाजार, गुदरी बाजार या फिर हथुआ मार्केट की ये बाजार न केवल ऐतिहासिक हैं, बल्कि आज भी शहर की आर्थिक रीढ़ बने हुए हैं. इसके बावजूद नगर निगम की उपेक्षा ने इन बाजारों को सुविधाविहीन बना रखा है. सरकारी बाजार और गुदरी बाजार का इतिहास अंग्रेजों के समय से जुड़ा हुआ है.

वहीं, हथुआ मार्केट दशकों से सारण समेत आसपास के जिलों की जरूरतों को पूरा करता आया है. राजस्व देने के मामले में ये बाजार आज भी नगर निगम के लिए सबसे बड़े स्रोत हैं. फिर भी यहां न पेयजल की सुविधा है, न पार्किंग, न ही शेड या सार्वजनिक शौचालय. इसके अलावा साफ-सफाई की व्यवस्था बेहद बदहाल है और बरसात के मौसम में जलजमाव आम समस्या बन जाती है.

अतिक्रमण ने संकीर्ण किये बाजार, ग्राहकों और दुकानदारों दोनों को परेशानी

विकास की योजनाओं के अभाव और प्रशासनिक लापरवाही के चलते अतिक्रमण लगातार बढ़ा है. नतीजतन इन बाजारों का दायरा घटता जा रहा है और रास्ते संकीर्ण होते जा रहे हैं. दुकानदारों में नाराजगी है कि नियमित सफाई नहीं होती, और कोई सुनवाई भी नहीं होती. कभी सीवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली और बलिया तक इन बाजारों की पहचान थी. यहां की मसाला मंडी, कपड़ा बाजार और सर्राफा गली उत्तर बिहार में प्रसिद्ध रही हैं. लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि सुविधाओं की कमी और अव्यवस्थाओं के चलते बड़े व्यापारी अब इन बाजारों में आना बंद कर चुके हैं. स्थानीय व्यवसाय भी प्रभावित हो रहे हैं.

हर साल लाखों का राजस्व, फिर भी सुविधा शून्य

गुदरी बाजार, सरकारी बाजार और हथुआ मार्केट नगर निगम को सालाना करीब 70 लाख रुपये का राजस्व देते हैं. बीते साल सरकारी बाजार का टेंडर 35 लाख में हुआ था. फल व सब्जी मंडी के लिए 18 लाख का टेंडर हुआ था. हथुआ मार्केट, जहां रोज एक करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है, वो भी बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहा है. हथुआ मार्केट, छपरा का सबसे प्रसिद्ध बाजार है, जहां करीब 400 प्रतिष्ठान हैं और दो राष्ट्रीयकृत बैंक भी कार्यरत हैं. त्योहार हो या शादी-ब्याह, लोगों की पहली पसंद यही बाजार होता है. लेकिन यहां न पब्लिक टॉयलेट है, न यूरिनल, न ही पेयजल और पार्किंग की सुविधा. ड्रेनेज सिस्टम की कमी के कारण बरसात में जलजमाव इस बाजार की सबसे बड़ी समस्या है. नगर निगम द्वारा मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स बनाने जैसी योजनाएं वर्षों से प्रस्तावित हैं, लेकिन कोई ठोस पहल नहीं हुई है. व्यापारी और ग्राहक दोनों अब इन बाजारों की दुर्दशा से निराश और नाराज हैं.

क्या कहती हैं डिप्टी मेयर

शहर के बाजारों में विकास की कई योजनाएं प्रस्तावित हैं. गत वर्ष बाजारों में जलनिकासी की व्यवस्था बेहतर करने को लेकर कार्य हुआ है. साफ-सफाई के लिए निगम कर्मियों को निर्देश दिया गया है. पार्किंग व अन्य समस्याओं का समाधान भी जल्द होगा.

रागिनी देवी, डिप्टी मेयर, छपरा नगर निगम

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