छपरा. नगर निगम के जनप्रतिनिधि और अधिकारी आम जनता के प्रति कितने संवेदनशील है इसका अंदाजा वार्ड नंबर एक में 40 दिनों से बंद पेयजल आपूर्ति व्यवस्था से लगाया जा सकता है. इस प्रचंड गर्मी में नगर निगम हजारों लोगों को बिना पानी के ही मार रहा है. मुहल्ले में जाने के बाद लोग बोलते हैं कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की आंखों का पानी ही मर चुका है, जो पूछने तक अभी तक नहीं आये. भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे नगर निगम की कार्यशैली का खुलासा मंगलवार को हो गया जब एक लिपिक को विजिलेंस ने घूस लेते दबोच लिया. ऐसे में जहां घूस पर ही सब काम होता है उससे लोगों ने उम्मीदें छोड़ दी हैं. यहां आश्वासन के नाम पर किसी कर्मी या टीम को भेज कर खानापूर्ति कर दे रहे हैं, लेकिन आज तक पेयजल आपूर्ति बहाल नहीं हो पायी है.
7000 लोग प्रभावित:
इस भीषण गर्मी में अगर नगर निगम क्षेत्र के किसी भी पूरे वार्ड में पानी की सप्लाइ ठप कर दी जाये तो यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां की स्थिति क्या होगी. नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर एक में दो मई से ही पेयजल सप्लाइ सिस्टम पूरी तरह से ठप है. यानी पूरे 40 दिनों से पानी की सप्लाइ बंद है. वार्ड में त्राहि-त्राहि की स्थिति है. नल जल योजना के तहत डायरेक्ट सप्लाइ के लिए लगी बोरिंग की मोटर जल गयाी है. इस वार्ड के 10 मुहल्लों की 7000 से अधिक आबादी के पास नल जल योजना का पानी नहीं पहुंच पा रहा है. लोग रोज सुबह और शाम में पानी के लिए वार्ड में जहां-तहां लगाये गये नल के पास अपनी बाल्टी और डब्बे को लेकर घंटों खड़े रहते हैं, लेकिन उन्हें पानी की एक बूंद भी नसीब नहीं होती. अब लोग आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. इस संबंध में महापौर लक्ष्मी नारायण गुप्ता ने बताया कि हमने तो नयी मोटर स्थापित करने के लिए अधिकारियों की टीम भेजी थी. नगर आयुक्त के द्वारा अब तक क्या किया गया है उनसे रिपोर्ट ली जा रही है.टैंकर जाता है, तो उत्पन्न हो जाती है मारामारी की स्थिति
वार्ड आयुक्त की गुहार पर नगर निगम की ओर से पानी का टैंकर भेजा जा रहा था. यह नाकाफी साबित हो रहा था. लेकिन, हद तो या हो गयी जब नगर निगम ने इसे भी बंद कर दिया है. जब टैंकर पहुंचता है तो पानी लेने वालों की संख्या काफी अधिक हो जाती है और पानी कम पड़ जाता है. ऐसे में मारामारी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
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