छपरा. अस्पताल परिसर में जलजमाव और कीचड़ की समस्या मरीजों और उनके परिजनों के लिए बीमारी से पहले की परीक्षा बन गयी है. अस्पताल के मुख्य द्वार से लेकर ब्लड बैंक, डीआइओ कार्यालय और इमरजेंसी यूनिट के सामने की सड़कें पानी और कीचड़ से लबालब हैं, जिससे लोगों को आवागमन में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. बताया जाता है कि अस्पताल के मुख्य द्वार पर नाले के निर्माण कार्य की शुरुआत डीएम अमन समीर के निर्देश पर कुछ महीने पहले की गयी थी ताकि जल निकासी की समस्या का स्थायी समाधान हो सके. लेकिन निर्माण कार्य में अनियमितता की शिकायतों के बाद इसे रोक दिया गया और अब तक दोबारा कार्य शुरू नहीं हो सका है. स्थानीय लोगों का कहना है कि शिकायतों के बावजूद न तो कार्य में पारदर्शिता आयी, न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गयी. बरसात में जल निकासी नहीं होने से परिसर में जगह-जगह पानी भर जाता है, जिससे मरीजों और एंबुलेंस को भी जाम में फंसना पड़ता है. कीचड़ और फिसलन के कारण अस्पताल कर्मियों के फिसल कर गिरने की आशंका भी बनी हुई है. कई कर्मचारी और नर्सिंग स्टाफ डीआइओ कार्यालय व इमरजेंसी यूनिट के पास गिरते-गिरते बचे हैं. यह स्थिति न केवल मरीजों बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है. इस संदर्भ में अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद ने बताया कि नाले के अधूरे कार्य को पुनः शुरू कराने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है. जैसे ही उच्चाधिकारियों से आदेश प्राप्त होगा, निर्माण कार्य तत्काल शुरू कर दिया जायेगा. मरीज बोले-अस्पताल आना खुद जोखिम इलाज के लिए आए मरीजों और परिजनों का कहना है कि बीमार होकर इलाज के लिए आते हैं, लेकिन कीचड़ में गिरने से और अधिक नुकसान का डर रहता है. एक मरीज के परिजन ने बताया कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही पानी में जूते डूब जाते हैं और स्ट्रेचर खींचने में भी परेशानी होती है.
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