दावथ प्रखंड अंतर्गत परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर चल रहा प्रवचन
सूर्यपुरा.
दावथ प्रखंड अंतर्गत परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर भारत के महान मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि वैदिक सनातन परंपरा के धार्मिक ग्रंथ व भगवान के अलग-अलग स्वरूपों के साथ छेड़छाड़ के खिलाफ सरकार को कठोर कानून बनाना चाहिए. जितने भी धार्मिक ग्रंथ हैं, उनके खिलाफ कभी भी कोई भी व्यक्ति कुछ भी बोलने लगता है. जिससे वैदिक सनातन संस्कृति पर गहरा चोट पहुंचाया जाता है. इसके खिलाफ कठोर कानून बनाना चाहिए. साक्षात परम भगवान विष्णु के द्वारा अलग-अलग अवतार लेकर मानव के लिए मर्यादा को सुनिश्चित किया गया हैं. वहीं आज समाज में भगवान के अलग-अलग स्वरूपों से भी छेड़छाड़ किया जा रहा है. जिससे समाज में भ्रम की स्थिति पैदा होती है. मानव जीवन जीने के लिए सदाचार जरूरी है.उसके लिए भगवान के द्वारा स्थापित 50 हजार करोड़ वर्ष पुरानी वैदिक परंपरा के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के लिए सरकार को इसके खिलाफ कठोर कानून बनाना चाहिए.सन्यासी को यह चार काम नहीं करने चाहिए
भारत के महान मनीषी संत पूज्य श्री त्रिदंडीस्वामी जी महाराज ने अपने पूरे जीवन काल में संन्यास के मर्यादा के साथ जीवन व्यतीत किया था. स्वामी जी ने कहा कि पूज्य गुरुदेव कभी भी अपने जीवन काल में संन्यास से समझौता नहीं किए. आज कुछ लोग सन्यास धारण करते हैं, लेकिन संन्यास का पालन नहीं करते हैं.सन्यासी को अग्नि, स्त्री, भोजन बनाना व तंत्र मंत्र जादू टोना से दूर रहना चाहिए. यह सन्यासी के लिए वर्जित है. उन्होंने कहा कि बक्सर भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है. भगवान श्री राम का जन्म सूर्यवंश में हुआ था. भगवान सूर्य के पिता का जन्म बक्सर में हुआ था. इसलिए कोई भी व्यक्ति जिसके माता-पिता का जन्मस्थान जहां पर होता है. वहां से कहीं जाकर के बाहर घर बना लेता है.तब भी उसका जन्मस्थान उसके माता-पिता के स्थान को माना जाता है. इसलिए भगवान श्री राम की जन्मस्थली बक्सर है. भगवान श्री राम का बक्सर केवल शिक्षस्थली ही नहीं बल्कि जन्मभूमि भी है.जब वामन भगवान का जन्म हुआ, उस समय ब्रह्मा जी वामन भगवान के पैरों को धो करके कमंडल में रखे थे. वही जल स्वर्ग लोक में नदी में डाला गया.बाद में वही शंकर जी के जटा में समेटा गया. वहीं गंगोत्री से गंगा जी निकली. जिनका मूल स्थान तो बक्सर से ही है. क्योंकि भगवान श्रीमन नारायण के चरण के जल से ही गंगा जी का आगमन हुआ था. गंगा जी वामन भगवान की बेटी हैं, इसलिए उनका भी जन्मस्थली बक्सर हुआ. वहीं सूर्य भगवान की बेटी यमुना जी हैं. इसलिए जब सूर्य भगवान का जन्मस्थली बक्सर है तो. उनकी पुत्री का भी जन्म स्थान बक्सर ही हुआ. इसीलिए गंगा जी और यमुना जी का भी जन्मस्थली बक्सर है.
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