सासाराम ऑफिस. बिहार प्रदेश माध्यमिक शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में आगामी 22 जुलाई को पटना विधानमंडल के घेराव के साथ प्रदर्शन करेगा. इसको ले महासंघ ने तैयारी शुरू कर दी है. शुक्रवार को महासंघ के तत्वावधान में महासंघ जिला इकाई के तहत जिले के 38 अनुदानित स्कूलों में काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य किया. इस संबंध में महासंघ के संयोजक डॉ द्वारकानाथ सिंह ने कहा कि यह प्रदर्शन सरकार की गलत नीतियों के विरोध व पांच सूत्री मांगों के समर्थन में प्रतीकात्मक हड़ताल के रूप में किया गया है. उन्होंने कहा कि जिले के 38 अनुदानित स्कूल करीब 40 वर्षों से संचालित हैं. यहां के प्रधानाध्यापक, शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानक मंडल व आरक्षण नियमावली के अंतर्गत है. इन स्कूलों में हजारों छात्र-छात्राएं प्रतिवर्ष अध्ययनरत रहते हैं. स्कूलों के नाम 34 सौ एकड़ भूमि, भवन संसाधन के अनुसार भरपूर आधार संरचना राज्यपाल के नाम निबंधित है. राज्य सरकार यह मानते हुए कि राज्य में माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिए स्कूल की कमी है, जिसे इन स्कूलों के द्वारा पूरा किया जाता है, तभी राज्य सरकार ने वर्ष 2008 में वित्त रहित शिक्षा नीति समाप्त कर कार्यरत कर्मियों को मैट्रिक में उत्तीण कुल छात्र-छात्राओं के संख्या के आधार पर अनुदान देने का संकल्प लिया, जिसमें 2008-09 से 2016-17 तक अधिकांश स्कूलों को अनुदान दिया गया है. इन स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को मुख्यमंत्री लाभुक योजना का लाभ दिया जाता है. लेकिन स्कूलों को उत्क्रमित करने के बाद बाद से कोई न कोई कारण लगाकर नामांकन पर रोक लगाया गया तथा 2023 में बिना सूचना की जांच कर बिना स्पष्टीकरण पूछे ही स्कूलों का निलंबन रद्द कर दिया गया, जो कि सरासर गलत है. महासंघ पांच सूत्री मांगों को लेकर व्यापक प्रदर्शन करेगा. महासंघ के संयोजक ने कहा कि यदि सरकार शिक्षकों के भविष्य को लेकर गंभीरता से विचार नहीं करती, तो आंदोलन और तेज किया जायेगा.
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