सीतामढ़ी. चिकित्सक डॉ अशोक कुमार सिंह के द्वारा पोर्टल पर फर्जी डाटा अपलोड करने व अन्य आरोपों में निलंबन की कार्रवाई से सदर अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़ा हो गया है. इन सवालों का निदान हुआ नहीं कि लापरवाही से जुड़े नए मामले सामने आ गए है. विभाग से प्राप्त रिपोर्ट के आलोक में सीएस डॉ अखिलेश कुमार ने सदर अस्पताल के प्रबंधक समेत दो के मानदेय के भुगतान पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दिया है.
विभिन्न मामलों में उपलब्धि अच्छी नहीं
बताया गया है कि भव्या पोर्टल पर वाइटल चेक अप, ऑनलाइन परामर्श, लिनेन लॉन्ड्री (कपड़े की धुलाई) व बीएमडब्ल्यू लक्ष्य के अनुरूप नहीं होने पर सीएस के स्तर से कार्रवाई की गई है. उन्होंने कहा है, भाव्या कार्यक्रम राज्य स्वास्थ्य समिति, पटना का एक महत्वकांक्षी योजना है. एक जुलाई से सात जुलाई तक भाव्या पोर्टल की समीक्षा की गई है. पाया गया कि ऑनलाइन परामर्श में 87 फीसदी, वाइटल चेक अप में 50 फीसदी, लिनेन लॉन्ड्री एवं बीएमडब्ल्यू में शून्य फीसदी उपलब्धि है. यह काफी खेदजनक है.
प्रतिनियुक्ति समाप्त करने की चेतावनी
सिविल सर्जन ने कहा है कि भव्या पोर्टल पर डाटा संबंधित सभी कार्यों को कराने एवं मॉनिटरिंग करने के लिए रीगा की बीएमई मनीषा कुमारी रीगा को सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त किया गया है. समीक्षा के क्रम में डाटा में कोई भी सुधार नहीं पाया गया है. इसे लेकर सीएस ने उक्त महिला कर्मी से पूछा है कि क्यों नहीं प्रतिनियुक्ति समाप्त कर पदस्थापन संस्थान को वापस भेज दिया जाए. डाटा में सुधार होने तक सदर अस्पताल के प्रबंधक एवं मनीषा कुमारी के मानदेय भुगतान पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया गया है. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक को वाइटल चेकअप समेत अन्य उक्त चार कार्यों में शत प्रतिशत उपलब्धि के लिए 24 घंटे के अंदर चार अतिरिक्त नर्सिंग डेस्क स्थापित करते का निर्देश दिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है