Bihar News: बिहार में सरकार पर्यटन को बढ़ावा दे रही है. लगातार बिहार के कई नामचीन जगहों को संवारा जा रहा है ताकि पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके. ऐसे में मां सीता की प्राकट्य स्थली मानी जाने वाली भूमि सीतामढ़ी में स्थित जनकपुर धाम को लेकर बड़ा अपडेट आ गया है. दरअसल, राघोपुर बखरी गांव स्थित रामजानकी मठ को लेकर जनकपुर धाम के रूप में जानते हैं. यह फिलहाल तो बदहाली की मार झेल रहा है लेकिन, जल्द ही इस मठ की किस्मत बदलने वाली है. बता दें कि, पुनौराधाम जानकी मंदिर से दो किलोमीटर दूर, सीतामढ़ी-शिवहर पथ पर डुमरा प्रखंड की बेरबास पंचायत के अंतर्गत स्थित यह मठ बेहद प्रसिद्ध था. इसके डिजाइन की बात करें तो, वह नेपाल स्थित प्रसिद्ध जनकपुरधाम के जानकी मंदिर से मेल खाता है.
खंडहर में तब्दील हुआ मठ
इतिहास की माने तो, दरभंगा महाराज ने इस मठ के लिए कभी 250 एकड़ भूमि दान में दी थी. लेकिन, कहा जाता है कि, समय के साथ यह जमीन बिक गई या फिर स्थानीय लोगों ने उस जमीन पर कब्जा कर लिया. जिसके बाद मंदिर के रख-रखाव में भी लापरवाही बरती गई, जिसका नतीजा यह हुआ कि, वह मठ गुमनामी में खोता गया. जिस मठ की सजावट, बनावट और नक्काशी देखते बनती थी, वह मठ आज खंडहर में बदल गया है. लेकिन, काफी लंबे समय के बाद उस मंदिर के संवरने के दिन आने वाले हैं. खबर की माने तो, रामायण रिसर्च काउंसिल की पहल पर यहां भव्य सीता मंदिर निर्माण की योजना तैयार की गई है.
प्रसिद्ध वास्तुकार करेंगे तैयार
यह भी कहा जा रहा है कि, मंदिर का वास्तु अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर के प्रसिद्ध वास्तुकार आशीष सोमपुरा तैयार करेंगे. राज्य सरकार की ओर से इसके लिए करीब 12 एकड़ की जमीन बखरी गांव में आवंटित की है. उम्मीद है कि मंदिर निर्माण के साथ-साथ इस क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे लोकल लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी. इधर, अब संतों की सलाह भी मांगी गई थी. जिसके बाद पुनः प्रयास किया जा रहा है कि अयोध्या की तर्ज पर यहां भी माता सीता की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाए. वहीं, मंदिर के संवरने से यह क्षेत्र धार्मिक आस्था का केंद्र तो बनेगा ही लेकिन, सीतामढ़ी जिले को भी अलग पहचान मिलेगी.
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