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बाबा धुर्जटीनाथ महादेव में जलाभिषेक व पूजा करने से शीघ्र पूर्ण होती है मनोकामनाएं

प्रखंड क्षेत्र में करीब आधा दर्जन से अधिक शिव मंदिर व भगवती स्थान स्थापित है. जिसमें मुख्यालय में चार शिव मंदिर व दो भगवती स्थान (मंदिर) है.

पुपरी. प्रखंड क्षेत्र में करीब आधा दर्जन से अधिक शिव मंदिर व भगवती स्थान स्थापित है. जिसमें मुख्यालय में चार शिव मंदिर व दो भगवती स्थान (मंदिर) है. बाबा नागेश्वरनाथ, बाबा पंचेश्वरनाथ, बाबा रामेश्वरनाथ व गोसाईं वन स्थित गौड़ी शंकर महादेव मंदिर व झझिहट महारानी स्थान व स्टेशन परिसर स्थित दुर्गा मंदिर. सभी शिव मंदिर व भगवती स्थान अपने आप में ख्याति प्राप्त व महत्वपूर्ण है. परंतु प्रखंड अंतर्गत दो शिव मंदिर व दो भगवती स्थान क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त व सुप्रसिद्ध है. नगर स्थित बाबा नागेश्वरनाथ महादेव व भिठ्ठा धरमपुर पंचायत अंर्तगत धरमपुर – डुम्हारपट्टी गांव के बीच स्थित बाबा धुर्जटीनाथ महादेव व झझिहट महारानी स्थान व स्टेशन परिसर स्थित मां भगवती दुर्गा. श्रद्धालु भक्तों का कहना व मानना है कि सच्चे मन से श्रद्धा पूर्वक की गई प्रार्थना व मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है. जानकार बताते हैं कि वर्ष 1950 के दशक में एक ज्योतिषी गांव में धूमते हुए आए और लोगों से कहा कि गांव के पश्चिम दिशा में जहां चमारों द्वारा मवेशी को खलने का काम किया जाता है. वहां भूमिगत शिवलिंग है. ज्योतिषी की बात पर विश्वास कर उक्त दोनों गांव के ग्रामीणों ने भूमि की खुदाई शुरू कर दिया. दो दिनों के अथक परिश्रम के बाद करीब दस फीट नीचे शिवलिंग व मंदिर का स्वरूप मिला. लोगों ने चाहा कि शिवलिंग को ऊंचाई प्रदान की जाए, पर विफल रहे. पुनः लोगों ने नीचे से ही मंदिर का निर्माण कर पूजा – अर्चना शुरू कर दिया. शिवलिंग की पूजा – अर्चना शुरू होते ही दोनों गांवों में सुख – शांति व समृद्धि बढ़ने लगी. कुछ ही वर्षों में उक्त मंदिर क्षेत्रों में चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया. मंदिर के पुजारी नंदन गिरि ने बताया कि पहले मंदिर पर पुजारी के रूप में मेरे पिता जी वंशीधर गिरि थे. उनके देहांत के बाद से मै महादेव का पूजा – अर्चना करता हूं. प्रतिदिन मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ पूजा अर्चना करने के लिए रहती है. परंतु सप्ताह के दो दिन रविवार व सोमवार, साल में बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, नाग पंचमी व जंमाष्टमी के दिन मंदिर परिसर में भक्तों की जनसैलाब उमड़ पड़ता है. परिसर में मेला जैसा परिदृश्य उत्पन्न हो जाता है. कमोबेश ऐसी ही स्थिति सावन मास में प्रत्येक सोमवारी की होती है. श्री गिरि ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्त सिमरिया से गंगाजल लाकर बाबा धुर्जटीनाथ का जलाभिषेक करते हैं.

पंसस अरविंद चौधरी ने बताया कि मंदिर के जिर्णोद्दार हेतु वर्ष 2009 में खुदाई करने के क्रम में मजदूरों को राजा राम दरबार का तांबा व चांदी का सिक्का मिला जिससे लोगों में कई गुणा आस्था व विश्वास बढ़ गया है. मंदिरों का निर्माण भव्य रूप से किया गया है. खुदाई में प्राप्त सिक्का सुरक्षित रखा गया है. शिवलिंग के संबंध में पुरातत्ववेत्ताओं ने काशी विश्वनाथ के समान होना बताया. शिवलिंग में जय निकले रहने से इन्हें बाबा धुर्जटीनाथ महादेव के नाम से जाना जाता है, जिनकी महिमा अपरंपार है.

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