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sitamarhi news: आज से नहाय-खाय व खरना के साथ शुरू होगा चैती छठ

आज बुधवार को चैत्र शुक्ल चतुर्थी एवं पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है. अत: आज ही सुबह नहाय-खाय के साथ चैती छठ अनुष्ठान का शुभारंभ हो रहा है.

सीतामढ़ी. आज बुधवार को चैत्र शुक्ल चतुर्थी एवं पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है. अत: आज ही सुबह नहाय-खाय के साथ चैती छठ अनुष्ठान का शुभारंभ हो रहा है. सुबह नहाय-खाय होगा व शाम को खरना की विधि पूरी की जायेगी. शहर समेत जिले भर के गांवों के सैकड़ों छठ व्रतियों द्वारा चैती छठ किया जाता है. छठ व्रती परंपरागत रूप से नहाय-खाय की सभी विधियां पूरी करते हुए तन और मन से पवित्रता धारण करेंगे. स्नान के बाद तमाम छठ व्रती अरबा चावल व कद्दू की सब्जी का सेवन करेंगे और छठ अनुष्ठान की शुरुआत करेंगे. छठ महापर्व को लेकर छठ व्रतियों द्वारा सभी तैयारियां की जा रही है. छठ पूजा को लेकर खरीददारी शुरू कर दी गयी है. यही कारण है कि बुधवार को शहर के गुदरी बाजार समेत विभिन्न बाजारों में चहल-पहल देखने को मिला. पंडित मुकेश कुमार मिश्र के अनुसार, बुधवार को नहाय-खाय एवं खरना होगा. खरना के बाद इस बार व्रतियों को सिर्फ 24 घंटे का निर्जला उपवास करना होगा. वहीं, गुरुवार को डूबते सूर्य को पहला अर्घ दिया जायेगा. वहीं, शुक्रवार, चार अप्रैल को उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ देने के बाद पारण के साथ वासंतिक छठ अनुष्ठान का समापन होगा. वासंतिक नवरात्र : तीसरे दिन मां चंद्रघंटा देवी की हुई पूजा सीतामढ़ी. मंगलवार को वासंतिक नवरात्र के तीसरे दिन शहर समेत जिले भर में निर्माण किये गये पूजा-पंडालों में मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा देवी की विधि-विधान से पूजन-अर्चन एवं ध्यान किया गया. पंडित मुकेश कुमार मिश्र ने बताया कि मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. मां चंद्रघंटा का स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. मां चंद्रघंटा की पूजा और भक्ति करने से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है. धर्म शास्त्रों के अनुसार, सच्चे मन से विधि-विधान के साथ माता रानी के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करने वाले जातकों पर माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. आज मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्मांडा देवी की होगी पूजा सीतामढ़ी. आज बुधवार को नवरात्रि का चौथा दिन है. आज मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्मांडा देवी की पूजा-अर्चना और ध्यान किया जायेगा. पंडित मुकेश कुमार मिश्र के अनुसार, देवी दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है. मां कूष्मांडा सूर्य के समान तेज हैं. मां कूष्मांडा की विधिवत पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है. मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है. संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं, इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कूष्मांडा कहा जाता है.

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