सीतामढ़ी. मधेश प्रदेश नेपाल, जिला सर्लाही, मलंगवा अंतर्गत कुशवाहा भवन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बज्जिका भाषा के विकास व आने वाले समय में इसके महत्व पर चर्चा हुई. कार्यक्रम में जिले के बथनाहा प्रखंड अंतर्गत प्रावि, डुमरिया के प्रधानाध्यापक सह कवि मो कमरुद्दीन नदाफ भी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि बज्जिका भाषा लोककंठ में ही जीवित रही है. अब इसे साहित्य के क्षेत्र में जीवंत रखने की आवश्यकता है. बज्जिका साहित्य समाज जिला सर्लाही मलंगवा के अध्यक्ष बज्जिका शिरोमणि व साहित्यकार रामचंद्र महतो कुशवाहा ने कहा कि बज्जिका भाषा, जो मुख्य रूप से उत्तर बिहार व नेपाल के कुछ हिस्सों में बोली जाती है, अपने समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के कारण महत्वपूर्ण है. यह भाषा मैथिली व भोजपुरी जैसी अन्य भाषाओं के बीच एक सेतु का काम करती है. मो कमरुद्दीन नदाफ को बज्जिका साहित्य समाज जिला सर्लाही मलंगवा के अध्यक्ष बज्जिका शिरोमणि व साहित्यकार रामचंद्र महतो कुशवाहा द्वारा लिखित बज्जिका भाषाई पुस्तक सप्रेम भेंट उपहार स्वरूप प्रदान की गयी.
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