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sitamarhi news: भुगतान नहीं होने से किसान संकट में

रीगा चीनी मिल चालू होने के बावजूद किसानों के नये तथा पुराने गन्ना मूल्य के भुगतान की समस्याओं का समाधान नही होने, सीएम द्वारा घोषित 10 रुपया क्विंटल का भुगतान नहीं होने से किसान संकट में है.

सीतामढ़ी. रीगा चीनी मिल चालू होने के बावजूद किसानों के नये तथा पुराने गन्ना मूल्य के भुगतान की समस्याओं का समाधान नही होने, सीएम द्वारा घोषित 10 रुपया क्विंटल का भुगतान नहीं होने से किसान संकट में है. यह कहना है किसान मोर्चा का. कहा कि संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा ने होली पर्व पर सभी नये-पुराने गन्ना मूल्य के भुगतान का सरकार से आग्रह किया था, परंतु मिल प्रबंधन तथा सरकार द्वारा भुगतान नही किया गया. बिहार राज्य गन्ना किसान मोर्चा के महासचिव डॉ आनंद किशोर, संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष जलंधर यदुवंशी, महासचिव संजीव कुमार सिंह, रीगा इकाई के अध्यक्ष पारसनाथ सिंह, डुमरा इकाई के अध्यक्ष अवधेश यादव, उपाध्यक्ष कौशल किशोर सिंह ने सीएम तथा ईंखायुक्त को मेल भेजकर कहा है कि राज्य सरकार के कैबिनेट निर्णय के बावजूद भी नौ वर्ष पुराने गन्ना मूल्य का भुगतान नही हो रहा है. अभी-अभी वर्तमान विधानसभा सत्र में विधायक मुकेश यादव के ध्यानाकर्षण पर गन्ना उद्योग विकास मंत्री ने सदन में गन्ना मूल्य का भुगतान जुलाई में कराने की घोषणा की है, जबकि संयुक्त ईखायुक्त ने मिल का अगले पेराई सत्र के शुरु होने पर भुगतान का समाचार प्रकाशित किया है. किसान संशय में है कि मंत्री बडा है या संयुक्त ईखायुक्त. इसी प्रकार रीगा चीनी मिल का पेराई बंद होने के बाद भी किसानों का करीब आठ करोड रुपए भुगतान नही हो सका है. जबकि नया मालिक साप्ताहिक भुगतान का ऐलान किया था. इसी प्रकार सीएम द्वारा गन्ना मूल्य पर अतिरिक्त 10 रुपया क्विंटल का भी भुगतान लंबित है. जिन किसानों से बीज के नाम पर गन्ना लेकर आपूर्ति आदेश पत्र दिया गया था, उनका भी करीब पांच करोड रूपये का भुगतान नही हुआ है. इधर, मिल द्वारा दिलाये गये गन्ना बीज पर महज ब्याज नही लेने की बात मिल के अधिकारी करते हैं, जबकि नये मालिक अपनी ओर से बीज देने की बात की थी. जिन किसानों का यूनियन बैंक में खाता फ्रीज किया हुआ है वह अभी तक फ्री नही किया गया है. जबकि एनसीएलटी के माध्यम से केसीसी राशि का भुगतान प्रारंभ होने की खबर है. पिछले दिनों संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधियों की ईंखायुक्त, डीएम तथा बैंक प्रबंधक से हुई वार्ता के बावजूद किसानों का खाता फ्री नही हो सका है. अपनी उपेक्षा से किसानों में गुस्सा है.

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