डुमरा. जिले में उत्पन्न जल संकट से निपटने के लिए गुरुवार को समाहरणालय में डीएम रिची पांडेय की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित किया गया. इस दौरान डीएम ने कहा कि इस वर्ष अल्प वर्षा के कारण भूगर्भीय जलस्तर में भारी गिरावट दर्ज की गयी है, जिसके परिणामस्वरूप जिले के कई प्रखंडों एवं शहरी क्षेत्रों में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. इस संकट से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए जिला प्रशासन सतर्क एवं सक्रिय भूमिका में है. उन्होंने पीएचइडी को स्पष्ट निर्देश दिया कि जल संकट से निपटने के लिए हर संभव संसाधन व रणनीति का समुचित उपयोग करें. उन्होंने सभी संवेदकों को सख्त हिदायत दी कि बंद पड़ी नल-जल योजनाओं को प्राथमिकता पर दुरुस्त किया जाए, अन्यथा लापरवाही पर कठोर कार्रवाई तय है. उन्होंने कहा कि हर स्तर पर आपसी समन्वय व संवेदनशीलता के साथ कार्य करते हुए ही हम इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति से पार पा सकते हैं. जिलेवासियों से अपील किया कि वे संयम एवं सहयोग बनाए रखें. — शिकायतों पर त्वरित संज्ञान लेंगे अभियंता
करने का निर्देश दिया.
— जनप्रतिनिधियों से सहयोग का किया अपीलबैठक में उपस्थित सभी जनप्रतिनिधियों से डीएम ने अनुरोध किया कि वे जिला प्रशासन के साथ पूर्ण समन्वय बनाकर जमीन स्तर से प्राप्त फीडबैक साझा करें, ताकि समय पर सटीक एवं प्रभावी कदम उठाया जा सके. उन्होंने जल संकट को लेकर प्रेसवार्ता में कहा कि जिला प्रशासन इस आपात स्थिति से निपटने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास कर रहा है. जिले के अधिकांश प्रखंड जल संकट की चपेट में हैं व इसके समाधान के लिए आवश्यक कदम लगातार उठाए जा रहे हैं. प्रभावित क्षेत्रों में पीएचइडी द्वारा पर्याप्त संख्या में टैंकरों से प्रतिदिन पेयजल की आपूर्ति की जा रही है. पुराने चापाकलों का नवीनीकरण (कन्वर्जन) किया जा रहा है. जहां आवश्यक है, वहां नए चापाकल भी स्थापित किए जा रहे हैं. बंद पड़े नल जल योजनाओं को चालू करने की कार्रवाई तेजी से चल रही है. शहरी क्षेत्रों में प्याऊ व टंकी की व्यवस्था की जा रही है. जिला मुख्यालय से संबंधित पदाधिकारी हर प्रखंड से नियमित संपर्क में हैं व मैदानी कार्यों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है