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शिव महापुराण कथा के श्रवण मात्र से मिलती है सभी प्रकार के पापों से मुक्ति : कथावाचिका

महाशिवपुराण कथा यज्ञ के तीसरे दिन कथा वाचिका सुमनांजली जोशी ने शिव- पार्वती विवाह की कथा पर विस्तृत चर्चा करते हुए माता पार्वती के भगवान शिव से विवाह के लिए किए गए कठिन तपस्या का वर्णन किया.

सीतामढ़ी. भारत जागृति सेवा ट्रस्ट द्वारा शहर के श्री राधा कृष्ण गोयनका कॉलेज परिसर स्थित खेल मैदान में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय महाशिवपुराण कथा यज्ञ के तीसरे दिन कथा वाचिका सुमनांजली जोशी ने शिव- पार्वती विवाह की कथा पर विस्तृत चर्चा करते हुए माता पार्वती के भगवान शिव से विवाह के लिए किए गए कठिन तपस्या का वर्णन किया. बताया कि भगवान शिव के परिवार में भगवान का वाहन नंदी, माता पार्वती का शेर, गणेश जी का मूषक और कार्तिकेय का वाहन मोर भी शामिल है जो अपना काम करते हुए हमेशा शिव की भक्ति में लीन रहता है. भगवान शिव की भक्ति और उन्हें प्रसन्न कैसे किया जाए, इस पर प्रकाश डाला गया. कहा कि इंसान को बनावटी नहीं होना चाहिए. बनावटी भाषा रिश्तों को तोड़ती है. जीवन में दिखावा नहीं आना चाहिए. झूठ नहीं बोलना चाहिए. शिव महापुराण विश्व का कल्याण करने वाली है. 84 लाख योनियों में आखिरी योनि मनुष्य योनि है. ईश्वर केवल मनुष्य को ही सोचने और समझने की क्षमता दिया है. मनुष्य का जन्म ईश्वर भक्ति के लिए हुआ है. शिव को पाने के लिए इंसान को गलत विचार, बुरी सोच, बुरी दृष्टि, खराब खाना- पीना और ऐसा पहनावा जो अच्छा न लगे, उसे त्यागना होगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार शिव महापुराण कथा के श्रवण मात्र से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है और शिवलोक में स्थान प्राप्त होता है. कहा कि परमात्मा रूपी परम तत्व को पाने के लिए परमात्मा से प्रेम करना अनिवार्य है. उन्होंने परिवार, समाज व देश के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करने के साथ हीं शिव की भक्ति करने की नसीहत दी. कहा, यही भक्ति भी अंत समय में काम आएगा. अहमदाबाद प्लेन दुर्घटना की चर्चा करते हुए कहा कि कब किसका अंत समय आ जाएगा, यह कोई नहीं जानता. इसलिए प्रतिदिन कुछ समय निकाल कर भगवान का भजन अवश्य करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड के कण- कण में शिव है तो शिव के रोम रोम में ब्रह्मांड है. देवी सती के अंग चौरासी स्थल पर गिरे वह सिद्ध स्थल बना. सिद्ध स्थल पर शिवशक्ति एक साथ विद्यमान हैं. कथा के दौरान बीच-बीच में पूजा कुमारी, स्वामी घनश्यामानंद जी व स्वामी देवेशानंद जी के भोलेनाथ तेरी महिमा निराली, अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे, हारा हूं बाबा तुझपे भरोसा है आदि गीत पर श्रद्धालु झूमते रहे. इससे पूर्व यजमान बीके मिश्रा ने कथावाचिका समेत संगीत टोली को अंगवस्त्र व जानकी जन्मभूमि प्रतीक चिह्न भेंट कर सम्मानित किया. यजमान शिवनाथ प्रसाद, रानी देवी, प्रतिभा मिश्रा, सह संयोजक सुरेश कुमार व प्रो दीपक कुमार ने महाशिवपुराण पूजन किए. यज्ञाचार्य जय शंकर चौबे व संयोजक धर्माचार्य सतीश जी ने वैदिक मंत्र उच्चारण से दीप प्रज्वलित कराए. इसके साथ हीं श्री हनुमान चालीसा पाठ से कथा आरंभ हुआ.

— महारुद्रभिषेक व योग शिविर का आयोजन

संयोजक सतीश जी ने बताया कि सुबह आठ बजे से महारुद्राभिषेक का दिव्य आयोजन हुआ. काशी से आए पंडित जय शंकर चौबे की टीम ने मंत्रोच्चारण कराया. सुबह पांच बजे से स्वामी हरिशानंद जी द्वारा योग शिविर का आयोजन किया गया. मौके पर नंदलाल ठाकुर, सीता संवाद निदेशक आग्नेय कुमार, ई राहुल कुमार, रंजन कुमार, निरंजन सिंह चौहान, शिशिर कुमार झा, पंडित शिवकांत मिश्रा, नवल किशोर झा, भागवत महतो, वैभव मिश्रा समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.

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