डुमरा. संभावित बाढ़ की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने व आपातकालीन प्रबंधन को सुदृढ़ बनाने को लेकर डीएम रिची पांडेय ने गुरुवार को समाहरणालय में अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक किया. इस दौरान डीएम ने कहा कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में जनहानि को रोकने एवं न्यूनतम क्षति सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन हर संभव पूर्व तैयारी सुनिश्चित कर रहा है. उन्होंने आपदा प्रबंधन शाखा को निर्देशित किया कि इंटर डिपार्टमेंटल को-ऑर्डिनेशन के द्वारा संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान, राहत एवं बचाव कार्यों के त्वरित निष्पादन एवं संसाधनों के त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित किया जाए. आपदा की घड़ी में एसडीआरएफ व एनडीआरएफ, सिविल प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग व अन्य विभाग के बीच आपसी समन्वय ही त्वरित व प्रभावी बचाव कार्य की कुंजी है. उन्होंने आपदा प्रबंधन प्रोटोकॉल के तहत मॉक ड्रिल व जन-जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया.
— अधिकारी क्षेत्रों का लगातार करेंगे भ्रमण
डीएम ने कहा कि बाढ़ संभावित क्षेत्रों का निरंतर सर्वेक्षण व खतरे के पूर्वानुमान के लिए सूचना तंत्र को सक्रिय रखें. साथ ही कमजोर स्थलों की मरम्मत सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने सभी संबंधित अभियंताओं को निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि तटबंधों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. इसमें किसी भी तरीके को कोताही पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. राहत शिविरों की स्थापना, पीने की पानी, आवश्यक दवाओं की उपलब्धता, चिकित्सा सुविधा, भोजन व शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं की पूर्व व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
— सभी कार्यों के लिए होंगे एक-एक नोडल अधिकारी
अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन बृजकिशोर पांडेय ने बताया कि जिले में संभावित बाढ़ को लेकर सभी 17 प्रखंडों में वर्षा मापक यंत्र स्थापित है. सरकारी नाव की संख्या पांच हैं, जबकि निजी नाव की संख्या जिनके साथ इकरारनामा किया गया उनकी संख्या 16 है. 23274 पॉलिथीन शीट्स, 35 हजार अधियाचित पॉलिथीन शीट्स, 101 प्रशिक्षित गोताखोर, 146 बचाव एवं राहत दल उपलब्ध हैं. इसी तरह 219 चिन्हित शरण स्थल, 319 चालू नलकूप, 10 बाढ़ आश्रय स्थल व 256 सामुदायिक रसोई है.
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