सीतामढ़ी. 90 वसंत गुजर गये, लेकिन हमने कभी जिले में ऐसी स्थित नहीं देखी. अकाल के दिनों में भी पेयजल पर कभी कोई असर नहीं दिखा था. शहर के कोट बाजार निवासी सियावर प्रसाद यह कहते चिंतित हो जाते हैं. उनके मोहल्ले में पिछले एक सप्ताह से जल संकट की स्थिति हो गयी है. कहते हैं कि आलम यह है कि अब पानी पीने के लिए मशक्कत करना पड़ रहा है. गृहणियां परेशान हैं, दिनचर्या प्रभावित हो गयी है. संभवत: यह पहली बार है कि गांव-टोला से लेकर शहर तक में बड़ी आबादी को टैंकर से प्यास बुझाया जा रहा है. पूरे सीतामढ़ी जिले में जल संकट की स्थिति कमोवेश बनी हुई है. राहत की बात यह है कि जिला प्रशासन के स्तर पर जल संकट से निजात दिलाने की कवायद शुरू की गयी है. प्रभात खबर की टोली बुर्जंगों के बीच गयी और उनसे सीधा सवाल किया कि आपने पहले कभी ऐसी स्थिति का सामना किया? एक स्वर से जवाब मिला, नहीं देखी ऐसी स्थिति.
— अकाल में कुआं का पानी नीचे गया, लेकिन जल संकट नहीं
उमेश चौधरी, सेवानिवृत्त शिक्षक, डुम्हारपट्टी(पुपरी). वर्तमान समय में हमारे क्षेत्र में भंयकर अकाल-सूखाग्रस्त व भू-गर्भीय जलस्तर काफी नीचे चले जाने के कारण पीने की पानी मिलना मुश्किल हो गया है. गांव व आसपास के लगभग सभी चापाकल पानी देना बंद कर दिया है. मैंने अपने 78 साल की उम्र में पहले कभी भी ऐसा नहीं देखा था. यहां तक कि वर्ष 1966 ई में भंयकर सुखाड़ की स्थिति जरुर बनी थी, परंतु इसका असर खेती-बाड़ी पर पड़ा था. वहीं, सुखाड़ होते हुए भी नदी नाले में पानी था और अचानक से बाढ़ भी आ गया था, लेकिन पीने का पानी हेतु जल संकट कभी नहीं देखा गया था.
— कुआं और चापाकल पर नहीं दिखा था असर
पंडित कृष्णकांत झा, चोरौत पूर्वी. इलाके में पहले इस प्रकार की स्थिति नहीं देखी थी. अकाल के दिनों में भी पेयजल पर कहीं कोई असर नहीं दिखा. यह संकट बड़ा है तथा भविष्य को लेकर बड़ा खतरा भी. हमें अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए. वहीं, जल संकट को लेकर पर्यावरण संतुलन को लेकर समय रहते सजग और सतर्क हो जाना चाहिए.
— नहीं सोचा था, कभी पानी का भी हो सकता है अभाव
जागा साह, बराही(रीगा). अपने जीवन काल में कभी इस प्रकार पानी की समस्या नहीं देखी थी. बरसात के दिनों में नदी, तालाब, पोखर सभी लबालब भरा रहता था, लेकिन आज पीने की पानी की समस्या गांव में उत्पन्न हो गयी है. कभी पानी का अभाव होगा, ऐसा कभी सोचा भी नहीं था. — लोग दाने-दाने को हो गये थे मोहताज, पेयजल संकट नहींराजकुमार राय, वासुदेवपुर टोल(बाजपट्टी). उन्होंने अपने विद्यार्थी काल में सन 1967 में इससे भी बड़े सुखाड़ की स्थिति देखी थी. जिसमें रबी की कोई फसल नहीं हुई थी. लोग दाने-दाने को मोहताज हो गये थे. लेकिन, पेयजल संकट की स्थिति नहीं थी.
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