सीतामढ़ी. जिला नेपाल बॉर्डर से सटा हुआ है. फलत: भारतीय सीमा क्षेत्र से नेपाल में बड़े पैमाने पर यूरिया और डीएपी समेत अन्य खाद की तस्करी की जाती है. इस गोरखधंधे में बॉर्डर क्षेत्र के बड़े-बड़े तस्कर लगे हुए है. यही धंधा उनकी उंचे मुनाफा का जरिया है. खाद वितरण में सख्त नियम व छापामारी दल होने के बाद भी तस्कर सीजन में खाद की अच्छी तस्करी कर लेते है. यह किसी से छुपा नहीं है. गत दिन विधान सभा में भी तस्करी का मामला उठा था. बाजपट्टी विधायक मुकेश कुमार यादव के सवाल पर विभाग ने लिखित तौर पर स्वीकार किया कि गड़बड़ी के आरोप में जिले के दो दुकानों का लाइसेंस रद, जबकि सात दुकानों के लाइसेंस निलंबित किए गए है. — यूरिया की अधिक कीमत पर बिक्री !
विभागीय मंत्री ने विधायक यादव को बताया कि जिले में जिला 29307 एमटी यूरिया की जरुरत थी. इसके तुलना में 26457 एमटी आपूर्ति की गई थी. डीएपी जरूरत 6370 की तुलना में 9092 एमटी, एनपीके 9900 की तुलना में 7346 व एमओपी 2000 की तुलना में 3616 एमटी की आपूर्ति की गई थी. मंत्री ने बताया कि जिला में खाद पर्याप्त है. किसी प्रखंड में उर्वरक की कोई कमी नही है. खाद की कालाबाजारी, तस्करी तथा अधिक मूल्य पर बिक्री की रोकथाम को निगरानी रखी जा रही है. औचक निरीक्षण दल गठित कर दुकानों का नियमित निरीक्षण/छापामारी कराई जा रही है. किसानों से अधिक कीमत पर यूरिया क्रय की शिकायतें नहीं मिली है.
— जिला में उर्वरक के 1010 विक्रेता
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