पुपरी. कृषि विज्ञान केंद्र बलहा मकसूदन सीतामढ़ी के प्रशिक्षण सभागार में शुक्रवार को 15 दिवसीय एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन आधारित प्रशिक्षण का उद्घाटन मुख्य अतिथि एवं समता सेवा केंद्र के अध्यक्ष अरविंद किशोर राय, नबार्ड के डीडीएम व विशिष्ट अतिथि सतीश कुमार सिंह व कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ राम ईश्वर प्रसाद ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. मुख्य अतिथि ने कहा कि रोजगार सृजन आधारित इस प्रशिक्षण के बाद प्रमाण पत्र के आधार पर जिला कृषि कार्यालय द्वारा इन्हें खाद एवं बीज की बिक्री के लिए लाइसेंस प्रदान किया जाएगा. डीडीएम ने कहा कि वर्तमान में किसान मुख्य रूप से यूरिया, डीएपी एवं पोटाश का क्रय करते हैं. जानकारी के अभाव में वे अन्य पोषक तत्व जैसे बोरोन, सलफर, जिंक, मैग्नेसियम जैसे पोषक तत्व खेतों में नहीं दे पाते हैं. जबकि पौधों को इन सभी पोषक तत्वों की जरूरत होती है. तकनीकी संस्थानों के अलावा विक्रेता को भी इसकी जानकारी किसानों देनी चाहिए. वरीय वैज्ञानिक डॉ राम ईश्वर प्रसाद, कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी डॉ किंकर कुमार, फसल वैज्ञानिक सच्चिदानंद प्रसाद, प्रसार वैज्ञानिक डॉ पिनाकी रॉय व गृह वैज्ञानिक डॉ सलोनी चौहान ने बारी-बारी से प्रशिक्षण की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस दौरान इन्हें उर्वरक एवं बीज के बारे में तकनीकी जानकारी दी जाएगी. ताकि वे ग्राहकों व किसानों को बेहतर तरीके से प्रेरित कर सकें. कहा कि वर्तमान में किसानों को जैविक खेती व जैव उर्वरक से संबंधित जानकारी का होना अति आवश्यक है. ताकि किसान रासायनिक उर्वरकों के साथ- साथ विभिन्न प्रकार के एजेंटो बैक्टर, नील हरित शैवाल, एजोला, पीएसबी आदि जैव उर्वरक का प्रयोग कर मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ा सकें. कहा कि फसलों से बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए संतुलित पोषण प्रबंधन व 18 पोषक तत्वों की जरूरत होती है. मुख्य पोषक तत्व के रूप में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फासफोरस, पोटैस्सियम, कैल्शियम, सल्फर की जरूरत होती है. वहीं, सूक्ष्म पोषक तत्व के रूप में जस्ता, ताम्बा, लोहा व बोरोन जैसे आठ पोषक तत्वों की जरूरत होती है. इसकी जानकारी किसानों को विक्रेता के माध्यम से होना जरूरी है ताकि बेहतर फसल पोषण प्रबंधन कर सके. कार्यक्रम में सुधांशु शेखर, रवि कुमार, ब्रजेश कुमार, मनीष कुमार, सुजीत कुमार समेत अन्य प्रशिक्षु मौजूद थे.
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