सीतामढ़ी. जानकी जन्मभूमि से जुड़े मां सीता डोली स्थल सह राम-परशुराम संवाद स्थल, पंथपाकड़ धाम में सोमवार को श्रावण की दूसरी सोमवारी के शुभ अवसर पर महात्मा अभेद प्रकाशानंद पहुंचे. उन्होंने कहा कि यह अद्भुत भूमिज पुष्प अपने मौन सौंदर्य में एक गूढ़ और सारगर्भित संदेश समेटे हैं. जनकनंदिनी सीता के जीवन से निकला हुआ संदेश. जब वे मिथिला से अयोध्या की ओर सीताराम के रुप में प्रस्थान कर रही थीं, तब अपने खोइछा में संजोए धान और पुष्पों को पंथकाकर में बिखेरते हुए प्रेम, त्याग एवं संस्कृति के बीज बो गयीं. यह धरोहर केवल प्रतीक नहीं, बल्कि एक आदर्श पथ है. आज कलीकाल के कठिन दौर में यह पुष्प हमें पुकार रहा है कि हम सीता के अनुज एकजुट हों. उनके दिखाए प्रेम और करुणा के मार्ग को आत्मसात करें. इसी मार्ग से हम न केवल अपने तन-मन का परिष्कार कर सकते हैं, बल्कि एक सशक्त, सहृदय और समृद्ध समाज की नींव भी रख सकते हैं.
यात्रा में सामाजिक कार्यकर्ता वकील शैलेंद्र सिंह ने भी अपने विचार रखे. सीता संवाद आध्यात्मिक एवं साहित्यिक यात्रा की ओर से महात्मा अभेद प्रकाशानंद जी को अंग वस्त्र एवं सीता जन्मभूमि यात्रा प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया. मौके पर न्यास समिति के अध्यक्ष अरुण शाही, मुख्य पुजारी, विपिन कुमार, नवीन कुमार व चंदन सिंह आदि लोग उपस्थित रहे.
सीता संवाद आध्यात्मिक एवं साहित्यिक यात्रा निदेशक आग्नेय कुमार ने महात्मा अभेद प्रकाशानंद को पंथपाकड़ धाम की महिमा की विस्तार से जानकारी दी तथा नाग पुष्प के संबंध में अग्रेतर कार्रवाई के बारे में बताया. प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ एसके झा ने इस अलौकिक दिव्य पुष्प दर्शन कर आत्मविभोर होकर कहा कि ऐसा दिव्य पुष्प पहली बार देखे हैं. यह ईश्वरीय चमत्कार लगता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है