सीतामढ़ी. शिक्षा मेरा अधिकार था, और मैं इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं था. लेकिन जब में नौ वर्ष का था तो मेरे पिता का देहांत हो गया, मैं अपने चार भाई बहन में सबसे बड़ा था. पिता के देहांत के बाद आर्थिक संकट के कारण मुझे बाल श्रम के लिए मजबूर होना पड़ा, जहां मुझे न्यूनतम मजदूरी से भी कम वेतन पर एक दिन में 10 से 12 घंटे मजदूरी करनी पड़ती थी, लेकिन मुझे सीतामढ़ी पुलिस एवं एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन (बचपन बचाओ आंदोलन) के द्वारा बाल श्रम से मुक्त करवा कर शिक्षा के मुख्यधारा से जोड़ा गया. सभी संघर्षों के बावजूद, मैंने 10 वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी कर इस वर्ष मेट्रिक की परीक्षा में सफलता हासिल की है. यह कहानी है जिले के परिहार थाना क्षेत्र के एक गांव के बाल श्रम से मुक्त प्रकाश कुमार ( बदला हुआ नाम) की. प्रकाश के प्रतिभा को अवसर तब मिला जब सीनियर डीएसपी मुख्यालय सह नोडल पदाधिकारी विशेष किशोर पुलिस इकाई मो नजीब अनवर के निर्देशन में सीतामढ़ी पुलिस एवं एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन (बचपन बचाओ आंदोलन) की संयुक्त टीम के द्वारा परिहार बाज़ार स्थित एक प्रतिष्ठान से बाल श्रम से प्रकाश को मुक्त करवाया गया और मुक्त होने उपरांत उनके पुनर्वास हेतु निरंतर फॉलोअप किया गया. विद्यालय से पुनः जुड़वाया गया जिसका सकारात्मक परिणाम मिला है. इस उपलब्धि पर सीनियर डीएसपी के द्वारा बाल श्रम से मुक्त प्रकाश को सम्मानित कर प्रोत्साहित किया गया एवं उनका मनोबल बढ़ाया गया. इस अवसर पर एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन के वरिष्ठ सहायक प्रोजेक्ट अधिकारी मुकुंद कुमार चौधरी, एपीओ शिवशंकर ठाकुर सहित दर्जनों की संख्या में पुलिस ने प्रकाश का मनोबल बढ़ाया. बाल श्रम से मुक्त प्रकाश ने बताया कि आज, मेरे घर के आसपास कई बच्चे स्कूल जा रहे हैं, क्योंकि उन्होंने देखा कि अगर मैं कर सकता हूं, तो वे भी कर सकते हैै.
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