सीतामढ़ी. जिले के सुरसंड प्रखंड की कुम्मा पंचायत में निर्मित नाला का पुनर्निर्माण कर राशि गबन में वहां के पंचायत सचिव जांच की कार्रवाई में आ चुके है. उनके विरूद्ध पुपरी के पीजीआरओ द्वारा बीडीओ को विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया जा चुका है. हालांकि मुखिया व अन्य के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से क्षुब्ध आवेदक जफर नेहार की अपील पर डीपीजीआरओ द्वारा भी पुपरी के पीजीआरओ के आदेश को बरकरार रखने के आलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई. तब आवेदक ने डीएम के यहां द्वितीय अपील किया. डीएम रिची पांडेय ने जारी आदेश में डीडीसी को जिला क्वालिटी मॉनिटर से उक्त योजनाओं के स्टीमेट की जांच करा दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है.
अपीलकर्ता नेहार की शिकायत है कि कुम्मा गांव के वार्ड नं- आठ में तत्कालीन मुखिया द्वारा वर्ष-2017-18 में नाला का निर्माण कराया गया था. वर्ष 2021- 22 में उसी नाला की मरम्मती करा वर्तमान मुखिया द्वारा राशि गबन कर ली गई है. यह काम मस्जिद से मंजर के घर तक और वार्ड पांच में मनोज कुमार की दुकान से अधवारा नदी तक कराया गया है. डीएम ने इसकी जांच डीसीएलआर, पुपरी से कराई. उन्होंने रिपोर्ट किया कि दो योजनाएं है. एक में 908917.00 रूपये, तो दूसरी में 760920 रूपये का भुगतान हुआ है. जांच के दौरान उन्हें अपीलकर्ता ने बताया कि दोनों नालों का निर्माण 2017-18 में हुआ था. पुनः 22-23 में जिर्णोद्धार के नाम भ्रष्टाचार किया गया है. मुखिया रूबैदा खातून व पंचायत सचिव सुधीर कुमार ने ग्राम सभा की स्वीकृति के बाद नालों की मरम्मती कराने की बात कही. जांच अधिकारी ने अभिलेख से पाया कि दोनों नाले का निर्माण 2013-14 से पूर्व कराया गया था. गलत स्टीमेट के आरोप की जांच तकनीकी विशेषज्ञों से संभव है. पंचायत सचिव ने डीसीएलआर को जानकारी दी थी कि दोनों योजनाओं की जांच एमआईटी, मुजफ्फरपुर के विशेषज्ञों ने की थी और सबकुछ ठीक पाया था. जांच अधिकारी ने रिपोर्ट किया था कि जीर्णोद्धार के नाम पर पुनः नये नाले का निर्माण कराना नियमानुकूल नहीं है. उक्त रिपोर्ट के आलोक में डीएम ने डीडीसी को जिला क्वालिटी मॉनिटर से योजनाओं की जांच कराकर दोषी व्यक्तियों पर नियमानुसार कार्रवाई करना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.
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