सीतामढ़ी. प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थानीय राजयोग प्रशिक्षण केंद्र द्वारा महीने के प्रत्येक रविवार को मंडल कारा में बंदियों को जीवन के उद्देश्य से रूबरू कराया गया. संस्था की बीके रेणु बहन ने बंदियों को नशा छोड़ने व स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने बंदियों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन और नैतिक शिक्षा दी. जिससे कई कैदियों ने नशा छोड़ने का संकल्प लिया. उन्होंने कहा कि नशा एक सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक और मानसिक अभिशाप है, जो व्यक्ति और समाज दोनों के लिए अभिशाप है.
रेणु बहन ने कहा कि ईश्वर को अपना दोस्त माने. अपने में किसी भी प्रकार की कमी है उसे स्वीकार करते अब कुछ बताए. उन्होंने कहा कि हमारा शरीर भगवान का दिया हुआ सबसे अच्छा उपहार है. व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है. इसलिए आगे से है श्रेष्ठ कर्म करने की स्वयं से प्रतिज्ञा करें और अपने जीवन को परिवर्तन करने का लक्ष्य रखें.
— मेडिटेशन सिर्फ शांति नहीं, आत्म परिवर्तन की कुंजीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है