डुमरा. भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर जिले में निर्वाचक नामावलियों का विशेष गहन पुनरीक्षण कराया जा रहा है. सभी पात्र नागरिकों का नामांकन सुनिश्चित करने के लिए बीएलओ घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे. उक्त बातें जिला निर्वाचन अधिकारी सह डीएम रिची पांडेय ने सोमवार को समाहरणालय में आयोजित प्रेसवार्ता में कही. उन्होंने कहा कि इस गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र लोगों का नाम मतदाता सूची में शामिल हो, ताकि वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें. कोई भी अपात्र व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल न रह सके व मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रहे.
— बीएलओ घर-घर विजिट कर उपलब्ध करा रहे फॉर्म
— ऑनलाइन भी कर सकते हैं फॉर्म अपलोड
इच्छुक मतदाता प्रीफिल्ड एन्युमरेशन फॉर्म को ऑनलाइन डाउनलोड कर सकते हैं तथा भरा हुआ फॉर्म व दस्तावेज भी ऑनलाइन अपलोड कर सकते हैं. हर मतदाता को यह फॉर्म आवश्यक जानकारी व स्व अभिप्रमाणित दस्तावेजों के साथ भरकर बीएलओ को देना होगा. बीएलओ द्वारा फॉर्म जमा करने के बाद एक प्रति अपने पास रखी जाएगी व दूसरी प्रति पर स्वीकृति की रसीद देकर मतदाता को लौटा दी जाएगी. यदि कोई मतदाता समय पर एन्युमरेशन फॉर्म जमा नहीं कर पाते हैं तो वह दावा-आपत्ति अवधि के दौरान फॉर्म छह व घोषणा पत्र के साथ नाम जोड़ने के लिए आवेदन कर सकते है. यदि ईआरओ एवं एईआरओ ने जांच कर यह पाया कि प्रारूप सूची में शामिल कोई नाम मतदाता बनने के योग्य नहीं है तो वह नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. मौके पर उप निर्वाचन अधिकारी डॉ विपिन कुमार व डीपीआरओ कमल सिंह शामिल थे.— भारत निर्वाचन आयोग ने जारी किया महत्वपूर्ण निर्देश
▪︎ बिहार की 2003 की मतदाता सूची की यह सहज उपलब्धता राज्य में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को काफी सुगम बनाएगी, क्योंकि अब कुल मतदाताओं के लगभग 60 प्रतिशत लोगों को कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है. उन्हें केवल वर्ष 2003 की मतदाता सूची में अपने विवरण का सत्यापन कर गणना प्रपत्र भरकर जमा करना है. यह विवरण मतदाता व बीएलओ दोनों के लिए ऑनलाइन उपलब्ध है. ▪︎ यदि किसी व्यक्ति का नाम 2003 की बिहार की मतदाता सूची में नहीं है, लेकिन उनके माता या पिता का नाम उस सूची में है, तो ऐसे मामलों में माता-पिता से संबंधित अन्य कोई दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी. 2003 की मतदाता सूची का केवल प्रासंगिक अंश ही पर्याप्त होगा. ऐसे मतदाताओं को केवल अपने दस्तावेज़, गणना प्रपत्र के साथ, प्रस्तुत करने होंगे.▪︎ यह पुनरीक्षण आवश्यक है क्योंकि मतदाता सूची एक जीवंत (डायनामिक) दस्तावेज़ है, जो मृत्यु, स्थानांतरण (रोजगार, शिक्षा, विवाह आदि कारणों से) व 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके नए मतदाताओं के कारण लगातार परिवर्तित होती रहती है.
▪︎ संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, केवल वही भारतीय नागरिक मतदाता बनने के योग्य हैं जो 18 वर्ष से अधिक आयु के हों व संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में सामान्य रूप से निवास करते हों.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है