सीतामढ़ी. जिले के छह सरकारी चिकित्सकों के द्वारा विभाग के साथ धोखाधड़ी का एक मामला उजागर हुआ है. इनमें दो चिकित्सक सदर अस्पताल के भी हैं. इन चिकित्सकों द्वारा बिना ड्यूटी के फर्जी रिपोर्ट तैयार कर पोर्टल पर अपलोड कराया गया है. फर्जी रिपोर्ट करने में दो डाटा इंट्री ऑपरेटरों के भी नामों का खुलासा हुआ है. उक्त बातों की खबर के बाद सिविल सर्जन डॉ अखिलेश कुमार ने आरोपित चिकित्सकों के साथ ही संबंधित संस्थान के प्रभारी के भी जून माह के वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया है.
105 मरीज देखने की फर्जी रिपोर्ट
बताया गया है कि गत दिन विभाग द्वारा गोपनीय रूप से चिकित्सकों के कार्यों की जांच करायी गयी थी. जांच रिपोर्ट मिलने पर विभागीय अपर मुख्य सचिव(एसीएस) ने वीसी माध्यम से सीएस व अन्य की मौजूदगी में भव्या पोर्टल पर अपलोड डाटा की समीक्षा की थी. यहां बता दें कि अब चिकित्सकों के कार्यों की रिपोर्ट भव्या पोर्टल पर अपलोड किया जाता है. पोर्टल से विभाग को सारी जानकारियां मिलती रहती है. समीक्षा के दौरान पता चला था कि पीएचसी, परिहार के डॉ पंकज कुमार भारती नौ जून को ड्यूटी से नदारद थे, लेकिन पोर्टल पर 105 मरीजों को देखने व उन्हें परामर्श दिए जाने की फर्जी रिपोर्ट अपलोड कर दी गयी थी है. उसी दिन पीएचसी, परसौनी के डॉ तौसिफ अहमद भी नदारद थे, पर उनके नाम से 176 मरीजों को परामर्श दिए जाने की फर्जी रिपोर्ट कर दी गयी थी.सदर अस्पताल के डॉक्टर भी पीछे नहीं
हमेशा से हर मामले में सबसे बेहद संवेदनशील सदर अस्पताल के चिकित्सक भी विभाग की आंखों में धूल झोंकने में पीछे नहीं रहे हैं. सीएस डॉ कुमार के स्तर से निर्गत पत्र के अनुसार, सदर अस्पताल के डॉ सत्यप्रिय झा की 24 जून को द्वितीय पाली में तीन से पांच बजे तक ड्यूटी थी. वे नदारद थे, पर पोर्टल पर 42 मरीजों को देखने का फर्जी आंकड़ा अपलोड कर दिया गया था.इनकी भी लापरवाही पकड़ी गयी
रून्नीसैदपुर सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रजनी सिन्हा व पुपरी के डॉ कफील अख्तर की भी लापरवाही पकड़ी गयी है. उक्त दोनों अस्पताल में कर्मी कर्मी द्वारा कई मरीजों का वाइटल चेकअप नहीं किया गया. हालांकि पोर्टल पर 100 फीसदी चेकअप की फर्जी रिपोर्ट डाल दी गयी थी. रिपोर्ट से पता चला है कि सदर अस्पताल में डाटा इंट्री ऑपरेटर नवीन कुमार व अमन कुमार ने चिकित्सकों की अनुपस्थिति में मरीजों का ऑनलाइन कंसल्टेशन किया गया था.शिकायत कुछ और दवा कुछ
सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ अशोक कुमार सिंह के संबंध में पोर्टल पर जो रिपोर्ट की गयी, वह चौंकाने वाला है. वे 24 जून को अनुपस्थित थे. पोर्टल पर एक मरीज के मुख्य शिकायत के रूप में कमजोरी डाला गया, लेकिन उसके कथित पुर्जा पर कुत्ता के काटने की दवा लिखी गयी. सीएस ने संबंधित संस्थानों से उक्त मामले में रिपोर्ट मांगी है. कहा है कि जब डॉक्टर नदारद थे, तो किस परिस्थिति में उनके नाम से मरीजों को देखने की रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड किया गया. उक्त तिथि को डाटा ऑपरेटर कौन थे?
इनके जून के वेतन पर रोक
सिविल सर्जन ने उक्त सभी चिकित्सक व डाटा इंट्री ऑपरेटर के जून के वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया है. साथ ही तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण भी पूछा है. संस्थानों के प्रभारी उक्त स्पष्टीकरण को अपने स्पष्ट मंतव्य के साथ सिविल सर्जन को भेजेंगे. मामले में सदर अस्पताल के उपाधीक्षक, अनुमंडलीय अस्पताल, पुपरी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी क्रमश: रून्नीसैदपुर व परिहार के जून का वेतन स्थगित कर दिया गया है.
अमरेंद्र कुमार
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