सीतामढ़ी. खरीफ सीजन 2025-26 के लिए केंद्र सरकार द्वारा धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 3% तथा दालों के मूल्य में 5.96% तथा तिलहन के मूल्य में 9% की वृद्धि की घोषणा को संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा, उत्तर बिहार के संयोजक डॉ आनंद किशोर, जिलाध्यक्ष जलंधर यदुवंशी, उपाध्यक्ष अमरेंद्र राय ने किसानों के साथ बडा धोखा बताया है. नेताओं ने कहा है कि दिखाने के लिए विभिन्न कृषि उत्पादों का एम एसपी तय होता है, परंतु धान तथा गेंहू की ही, वह भी आंशिक सरकारी खरीद होती है. किसान नेताओं ने कहा है कि एमएसपी तय करने में किसानों के खेती की बढती लागत की अनदेखी की गयी है. केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा लागू करने के वायदे से मुकर रही है. ऐतिहासिक किसान आंदोलन के समय एमएसपी पर कानून बनाने को लेकर लिखित समझौता किया था, जिसमे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ कमेटी गठित कर निर्णय लेना था. उसपर अमल नही कर रही है. यह किसानों के साथ विश्वासघात है. खाद, बीज, कीटनाशक के मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि, मजदूरी के बढने से खेती की लागत बढती जा रही है. उपर से हर सीजन में किसी न किसी प्राकृतिक आपदा से भी फसलों की बर्बादी तय है. सरकार किसानों की बढती लागत तथा तबाही के आलोक में न्यूनतम समर्थन मूल्य की वृद्धि के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे, अन्यथा देश में किसानों का संघर्ष तेज होगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है