सीतामढ़ी. राम सेवक महिला महाविद्यालय में मंगलवार को ””आंचलिक साहित्य के संदर्भ में अनुवाद का प्रभाव”” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के प्राचार्य प्रो(डॉ) त्रिविक्रम नारायण सिंह ने की. अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि अनुवाद केवल भाषायी विनिमय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक संवाद का माध्यम भी है, जिससे आंचलिक साहित्य राष्ट्रीय व वैश्विक स्तर पर पहचाना जाता है. मुख्य अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार रामबाबू नीरव ने कहा कि अनुवाद के माध्यम से हम क्षेत्रीय भाषाओं की सांस्कृतिक विविधताओं को साझा कर सकते हैं. उन्होंने अनुवादक की संवेदनशीलता और उत्तरदायित्व की भी चर्चा की. उदय सिंह कर्मकार ने बतौर विशेष वक्ता अपने व्यावहारिक अनुभव साझा करते हुए कहा कि अनुवाद करते समय मूल भाव, भाषा की लय और सामाजिक संदर्भों को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक होता है. कार्यक्रम का समापन डॉ पंकजवासिनी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ. इस मौके पर साहित्य प्रेमी, शोधार्थी समेत अन्य लोग मौजूद रहे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है