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27 हजार महिलाओं ने आकांक्षाओं को किया साझा

जिले के विभिन्न प्रखंडों के हसनपुरा प्रखंड के हरपुरकोटवा पंचायत ,आंदर प्रखंड के पतार पंचायत ,नौतन प्रखंड के अंगौता पंचायत,गुठनी प्रखंड के सोनहूला पंचायत और रघुनाथपुर प्रखंड के गंभीरार पंचायत में गुरुवार को आयोजित संवादों में कुल 5,698 महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया.जिसमें विभिन्न पंचायतों की महिलाएं अपनी सामाजिक,आर्थिक और बुनियादी समस्याओं के साथ सामने आईयी. एक ही दिन में 1,082 सामुदायिक आकांक्षाओं को एमआइएस. में दर्ज किया गया. जिससे अब तक की कुल आकांक्षाओं की संख्या 27,089 तक पहुंच गई है.

प्रतिनिधि,सीवान. जिले के विभिन्न प्रखंडों के हसनपुरा प्रखंड के हरपुरकोटवा पंचायत ,आंदर प्रखंड के पतार पंचायत ,नौतन प्रखंड के अंगौता पंचायत,गुठनी प्रखंड के सोनहूला पंचायत और रघुनाथपुर प्रखंड के गंभीरार पंचायत में गुरुवार को आयोजित संवादों में कुल 5,698 महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया.जिसमें विभिन्न पंचायतों की महिलाएं अपनी सामाजिक,आर्थिक और बुनियादी समस्याओं के साथ सामने आईयी. एक ही दिन में 1,082 सामुदायिक आकांक्षाओं को एमआइएस. में दर्ज किया गया. जिससे अब तक की कुल आकांक्षाओं की संख्या 27,089 तक पहुंच गई है. इन सभी कार्यक्रमों में महिलाओं ने योजनाओं की जानकारी के साथ-साथ विशेष रूप से स्थानीय रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, पेंशन, आवास, राशन कार्ड और नल-जल व्यवस्था को लेकर अपनी आकांक्षाएं प्रस्तुत कीं. महिलाएं अब जिला और प्रखंड प्रशासन भी महिला संवाद कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं .जिसमे जिलाधिकारी के निर्देशानुसार दर्ज की गई सभी आकांक्षाओं को प्रतिदिन संबंधित विभागों में विभाजित कर भेजा जा रहा है. जिससे हर विभाग को अपने दायित्व के अनुरूप कार्य करने का स्पष्ट लक्ष्य मिल रहा है. यह प्रक्रिया न केवल पारदर्शिता को बढ़ा रही है, बल्कि स्थानीय स्तर की समस्याओं को विभागीय कार्रवाई से जोड़कर शीघ्र समाधान की दिशा में कदम बढ़ा रही है. महिला संवाद कार्यक्रम अब प्रशासनिक प्रक्रिया का भी अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है. यह पहल यह सुनिश्चित कर रही है कि महिलाओं की हर मांग और सुझाव केवल कागज़ों तक सीमित न रह जाए, बल्कि उसे योजना, बजट और कार्यान्वयन तक पहुंचाया जाए. जिला प्रशासन का कहना है कि जीविका की यह साझी पहल एक ऐसा वातावरण बना रही है जहां हर महिला को न केवल बोलने का अवसर मिल रहा है, बल्कि उसकी बात को गंभीरता से सुना और उस पर कार्य किया जा रहा है. महिला संवाद अब बदलाव का स्थायी माध्यम बन चुका है.

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