संवाददाता,सीवान.शहर में सड़क के चौड़ीकरण से लेकर कूड़ा गिराने के लिए जमीन खरीद में कथित घोटाले को लेकर नगर परिषद के तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी राजकिशोर लाल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हो गयी है.इसमें साढ़े चार करोड़ के वित्तीय अनियमितता की मिली शिकायत के बाद लंबी जांच की प्रक्रिया चली थी. इसके बाद ही यह कार्रवाई शुरू हुई है. इस मामले में राजकिशोर लाल द्वारा दिया गया जवाब भी विभाग के मुताबिक संतोषजनक नहीं रहा. नगर परिषद सीवान के कार्यपालक पदाधिकारी रहे राजकिशोर लाल पर तीन वर्ष पूर्व उनके खिलाफ तकरीबन साढ़े चार करोड़ की वित्तीय अनियमितता की मिली शिकायत के बाद चली जांच में प्रथम दृष्टया आरोप सही पाया गया.राजकिशोर लाल फरवरी 2014 से जुलाई 2017 तक यहां कार्यपालक पदाधिकारी रहे थे.इस दौरान उनके कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए वित्तीय अनियमितता की कई शिकायतें बिहार सरकार में राज्यमंत्री रहे विक्रम कुंअर,जनसुराज के इंतखाब अहमद समेत अन्य ने की थी. सड़क चौड़ीकरण में मिली थी गड़बड़ी नगर में अस्पताल मोड़ से तरवारा मोड़ तक सड़क के दक्षिण पांच फुट चौड़ा कर कार्य निर्माण वर्ष 2017-18 में कराये गये थे.जिसके लिए 49 लाख 91 हजार 500 रूपये का बजट तय किया गया था.जिसके मुताबिक एक फुट गहराई के साथ पांच फुट चौड़ाई कार्य करना था.जिसमें आरोप लगाया गया कि तय मानक के अनुसार सड़क की गहरायी कहीं एक से तीन इंच तक तथा चौड़ीकरण कार्य भी मानक के अनुसार नहीं किया गया.इसके अलावा निविदा की धनराशि का दस प्रतिशत तीन वर्ष तक विभाग में जमा रहने के नियम के विरूद्ध जाकर पहले ही संवेदक को भुगतान कर दिया गया. जमीन खरीद में हुआ बड़ा घोटाला राजकिशोर लाल के कार्यपालक पदाधिकारी रहने के दौरान कूड़ा निस्तारण व ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिये जमीन खरीद में भी घोटाला की शिकायत सामने आयी थी.जिसके बारे में बताया जाता है कि शहर से बीस किलोमीटर दूर नौतन प्रखंड के अंगौता में जमीन की खरीद की गयी.खरीदी गयी जमीन के मामले बात सामने आयी की विक्रेता ने अपने हिस्से से अधिक जमीन अभिलेखों में फेरबदल कर नगर परिषद को बेच दिया.जिसके चलते लंबे समय बाद भी नगर परिषद का जमीन पर कब्जा नहीं है.इसके अलावा बेची गयी जमीन की राशि भी विक्रेता के खाते में भेजने के बजाय अन्य लोगों के बैंक खाते में जमा कराया गया.ऐसे में 4 करोड़ 3 हजार 785 रूपये के वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे थे.इस मामले में जिला लोक शिकायत पदाधिकारी रहे विपिन राय ने भी कार्रवाई की थी.साथ ही नगर थाना में प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी. मामला विचाराधीन है. आरोप पत्र पर नहीं दे सके थे संतोषजनक जवाब तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी राजकिशोर लाल के खिलाफ नगर विकास एवं आवास विभाग पटना के द्वारा सितंबर 2022 में गठित आरोप पत्र का अक्टूबर 2022 में राजकिशोर लाल ने जवाब दिया.जिसे विभाग ने स्पष्टीकरण को स्वीकार योग्य नहीं माना.ऐसे में विभाग के मंतब्य व कार्यपालक पदाधिकारी के जवाब के बाद अनुशासनिक प्राधिकार ने माना कि यह वित्तीय अनियमितता से संबंधित व गंभीर प्रकृति का है.ऐसे में बिहार सरकारी सेवक नियमावली 2005 के प्रावधानों के अनुसार राजकिशोर लाल के विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही संचालित करने का निर्णय लिया गया है.इसको लेकर मुख्य जांच आयुक्त बिहार को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है.इसके अलावा इसमें विभाग के वरीय पदाधिकारी होंगे.
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