बड़हरिया. बड़हरिया प्रखंड के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर शुरू किया गया चहक कार्यक्रम बच्चों में सीखने के प्रति उत्साह और रुचि बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है. गर्मी की छुट्टियों के बाद जब स्कूल खुले तो छोटे बच्चों में विद्यालय को लेकर एक हिचकिचाहट और उदासीनता देखी जा रही थी, लेकिन चहक से प्रशिक्षित शिक्षकों की गतिविधि आधारित शिक्षण पद्धति ने बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए स्कूल के माहौल को पुनः गुलजार कर दिया है. प्राथमिक से लेकर मध्य विद्यालय तक के छात्र अब किताबों की बोरियत से बाहर निकलकर खेल-खेल में सीखने की प्रक्रिया से जुड़ रहे हैं. नोडल शिक्षकों द्वारा चलाये जा रहे इस कार्यक्रम से न केवल शिक्षा रोचक बनी है, बल्कि बच्चों का विद्यालय में ठहराव और उपस्थिति भी बढ़ी है. किताबों की बजाय कविताओं, कहानियों, चित्रों, उदाहरणों और रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को जोड़ा जा रहा है. बीइओ राजीव कुमार पांडेय ने बताया कि इस कार्यक्रम से बच्चों को सोचने, समझने और खुद से कुछ नया करने का अवसर मिल रहा है. चहक कार्यक्रम निश्चित तौर पर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की दशा और दिशा सुधारने की दिशा में बड़ा कदम बन चुका है.
पहली से तीसरी कक्षा के बच्चों के लिए प्रभावशाली साबित हुआ कार्यक्रम
बच्चों को उनके परिवेश से जोड़कर उन्हें जीवन से जुड़ी सीख दी जा रही है. परिणामस्वरूप वे नयी चीजों को जानने-समझने के प्रति उत्सुक हो उठे हैं. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम खासकर पहली से तीसरी कक्षा के बच्चों के लिए बेहद प्रभावशाली साबित हुआ है. टीएलएम सामग्री जैसे चार्ट, फ्लैश कार्ड, रंगीन आकृतियों व अन्य शिक्षण सामग्री की उपलब्धता से बच्चे चीजों को आसानी से समझ पा रहे हैं. बच्चों की सोचने और समझने की क्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है. प्रखंड के तमाम विद्यालयों में चहक कार्यक्रम के तहत बच्चों में अनुशासन, संवाद कौशल, टीमवर्क और आत्मविश्वास की झलक दिख रही है. विद्यालयों का वातावरण अब सहज, आनंददायक और जीवंत हो चुका है. बच्चों की हंसी-खुशी और भागीदारी ने स्कूल को एक बार फिर चहका दिया है. वरिष्ठ शिक्षकों का मानना है कि अब तक जितने भी शैक्षणिक प्रशिक्षण कार्यक्रम हुए हैं, उनमें चहक सबसे अधिक प्रभावशाली रहा है. इसने न केवल बच्चों को विद्यालय से जोड़ा है, बल्कि शिक्षकों का आत्मविश्वास भी बढ़ाया है. प्रधानाध्यापक जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि चहक का मूल उद्देश्य बच्चों को विद्यालय के प्रति सहज बनाना है. इसके लिए शिक्षक और बच्चों के बीच अपनापन जरूरी है, जिसे यह कार्यक्रम बखूबी पूरा कर रहा है. उन्होंने कहा कि चहक से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया न केवल सरल बनी है, बल्कि अभिभावकों का विश्वास भी विद्यालय और शिक्षकों पर दोबारा बढ़ा है. अब बच्चे समय से पहले स्कूल पहुंच रहे हैं.
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