महाराजगंज. तीन दिन बाद 13 अप्रैल को खरमास का समापन होगा और 14 अप्रैल से द्वार व पंडालों में शहनाई की गूंज व सड़कों व गलियों में ढोल-ताशा व बैंड बाजे बजने लगेंगे.
इस बार लग्न की काफी धूम है. 14 अप्रैल से जून के पहले सप्ताह तक शहनाई की गूंज में फूल बरसेंगे, बधाइयां दी जायेंगी. आठ जून के बाद गुरु अस्त हो जायेंगे. गुरु अस्त होने के बाद मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. छह जुलाई को देवशयनी एकादशी है. इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इस समय को चातुर्मास कहा जाता है. इस दौरान शुभ कार्य नहीं होते हैं. जब देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु जागते हैं, तब फिर से मांगलिक कार्य शुरू होंगे.नये रस्मों ने शादियों का खर्च बढ़ाया
नये रस्मों ने शादियों का खर्च बढ़ा दिया है. भौतिकता की चकाचौंध में शादी-विवाह का आयोजन महंगा होता जा रहा है. बिटिया का हाथ पीला करना मध्यम वर्ग परिवार के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. बैंड-बाजा संग ढोल ताशा से लेकर कैटर्स, लाइट गाड़ियों के रेट भी बढ़ गये हैं. इसके साथ ही पगड़ी व रैंप का चलन बढ़ गया है. इसके कारण शादियों के बजट डेढ़ से दोगुना बढ़ गया है.शुभ मुहूर्त
अप्रैल : 14, 15, 16, 17, 18, 20, 21, 25, 26, 29, 30मई : 1, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 27, 28जून : 1, 2, 4, 5, 7, 8
नवंबर : 2, 3, 6, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25, 30दिसंबर : 4, 5, 6
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