सिसवन . प्रखंड के बावंडीह स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक ने एक अनोखी पहल शुरू की है. कॉलेज ने सामाजिकता की ओर कदम बढ़ाते हुए पहल ””””दायित्व”””” की शुरुआत की है. इसके तहत आसपास के गांवों के स्कूली छात्रों को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है. प्राचार्य डॉ प्रवीण पचौरी ने बच्चों को पढ़ाने के लिए कॉलेज के प्रो और सीनियर छात्रों का ””सोशल क्लब”” गठित किया है. क्लब के सदस्य हर दिन शाम में कॉलेज के क्लास रूम में बच्चों को साइंस, मैथ और इंग्लिश का क्लास ले रहे हैं. बताया गया कि आसपास के सरकारी स्कूलों के करीब 50 से अधिक बच्चे प्रतिदिन आकर निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. प्राचार्य ने बताया कि क्लब के सदस्य प्राध्यापक और अंतिम वर्ष के छात्रों ने ही ””दायित्व एक पहल”” की शुरुआत की है. इसके तहत महाविद्यालय में ही आसपास के गांवों के छात्रों को गणित, विज्ञान, अंग्रेजी के साथ ही बेसिक तकनीकी शिक्षा दे रहे हैं. बताया कि हर रोज शाम 4 बजे से 5 बजे तक महाविद्यालय में लगभग 50 से अधिक स्कूली छात्र छात्राओं को शिक्षा दी जा रही है. साथ ही प्रोत्साहित करने के लिए कॉलेज की ओर से बीच-बीच में मुफ्त कॉपी, कलम, पेंसिल और स्कूल बैग मुहैया कराये जा रहे हैं.
गांव-गांव घूमकर की गयी शुरुआत
प्राचार्य ने बताया कि शुरुआत में कई मुश्किलें थीं. जब हमलोगों ने इस पहल के बारे सोचा, तो लगा कि बच्चे आयेंगे कैसे. फिर सोशल क्लब के कुछ स्टूडें स्टूडेंट्स एवं महाविद्यालय के सोशल क्लब द्वारा शुरू किया गया अभियान कॉलेज के आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों व स्कूली बच्चों के लिए वरदान बन गया. आसपास के गांवों में घूम-घूमकर अभिभावकों से बात की गयी. बात करने पर कुछ अभिभावक अपने बच्चों को भेजने के लिए राजी हो गये. शुरुआत में बड़ी मुश्किल से 8-10 बच्चे ही आया करते थे, लेकिन धीरे-धीरे याही बच्चे अपने स्कूल में जाकर महाविद्यालय के सोशल क्लब की ””दायित्व एक पहल””के बारे में साथियों को बताने लगे. इसी का परिणाम है कि आज महाविद्यालय शाम में छोटे-छोटे स्कूली बच्चों से भरा रहता है.अभिभावक कर रहे तारीफ
कॉलेज की ””दायित्व एक पहल”” का ही परिणाम है कि बच्चों के अभिभावक अब काफी खुश और उत्साहित हैं. ये कॉलेज की शिक्षा की पहल की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, अभिभावक बताते हैं कि पहले और अब की तुलना में हमारे बच्चों के ज्ञान में काफी बढ़ोतरी हुई है. ज्ञान के साथ-साथ उनके रहने और बात करने के तरीके में भी काफी सकारात्मक बदलाव आये हैं. उनलोगों को बच्चों के लिए अलग से ट्यूशन की अब जरूरत नहीं रह गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

