सीवान. सनातन परंपरा में गुरु ग्रह का महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य माने गये हैं. वहीं, मंत्री गुरु ग्रह हैं. गुरु ग्रह के साक्षी होने पर ही विवाह व मांगलिक कार्य होते हैं. पंडित पुरुषोत्तम तिवारी ने बताया कि 11 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है. इस दिन शाम 6:54 बजे गुरु ग्रह पश्चिम दिशा में अस्त होंगे. गुरु ग्रह के अस्त होने के साथ सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जायेगा. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी छह जुलाई को देवशयनी एकादशी मनायी जायेगी. इस दिन देवगुरु भगवान विष्णु शयन मुद्रा में चले जायेंगे. सूर्य दक्षिणायन हो जायेंगे. इसके साथ चातुर्मास भी शुरू हो जायेगा. एक नवंबर को देवउठनी एकादशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु जागृत होंगे. इसके बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे. गुरु के अस्त होने और सूर्य के दक्षिणायन होने से मांगलिक कार्यों पर रोक लगेगी. साथ ही वधु प्रवेश, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा, यज्ञोपवीत, जनेऊ आदि आयोजनों पर विराम लग जायेगा. मांगलिक कार्यों में कुछ ऐसे भी कार्य हैं, जिनको चातुर्मास के दौरान कर सकते हैं. आभूषण और वाहन क्रय-विक्रय, जीर्णशीर्ण मकान के पुनर्निर्माण के बाद गृह प्रवेश जैसे कार्य हो सकते हैं.
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