सीवान. प्रभात खबर में सात जून के अंक में ””सदर अस्पताल में डायलिसिस के दौरान खून बर्बाद होने पर परिजनों ने किया हंगामा”” खबर प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इसे गंभीरता से लिया है. सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने डायलिसिस केंद्र पर मरीजों द्वारा लगाये गये आरोपों की जांच के लिए तीन डॉक्टर सहित चार लोगों की एक कमेटी का गठन किया है. जांच कमेटी शिकायती बिंदुओं पर जांच कर तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट सिविल सर्जन को सौंपेगी. जांच कमेटी में सदर अस्पताल के डॉ सुनील कुमार सिंह, डॉ अनूप दुबे, डॉ सदा कमर एवं क्लस्टर मैनेजर मुकुल सिंह शामिल हैं. जांच टीम इस बात को देखेगी कि डायलिसिस केंद्र का संचालन करने वाली एजेंसी क्या डायलिसिस केंद्र का संचालन एमओयू के अनुसार कर रही है. साथ ही यह भी जांच की जायेगी कि डायलिसिस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर की उपस्थिति अनिवार्य है और उसका पालन किया जा रहा है? डायलिसिस करने वाली एजेंसी के कर्मियों का कहना है कि मरीज के डायलिसिस में उपयोग होने वाले डायलाइजर का एमओयू के अनुसार 10 बार दुबारा उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए कर्मचारियों द्वारा मरीजों के परिजन से डायलाइजर दुबारा प्रयोग के लिए सहमति पत्र पर दस्तखत कराते हैं कि दुबारा प्रयोग मरीज की सहमति से किया जा रहा है. मरीज के परिजन जब सहमति पत्र पर दस्तखत नहीं करते हैं, तो मरीज को अधीक्षक से लिखित अनुमति लेने के बाद बाजार से खरीदकर डायलाइजर देना पड़ता है. जांच टीम इस बिंदु पर भी जांच करेगी कि क्या मरीज के डायलिसिस में उपयोग होने वाले डायलाइजर का पुनः प्रयोग एमओयू के अनुसार है? घटना को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है और जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी. पीड़ित मरीज और उसके परिजनों के बयान भी लिये जायेंगे. सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि डायलिसिस के दौरान खून बर्बाद होने की मामले की जांच के लिए जांच टीम का गठन कर दिया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि मरीजों की जान से जुड़ी प्रक्रियाओं में किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.
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