सिसवन. सरकार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए तरह-तरह के इंतजाम कर रही है. इसके उलट प्रखंड के सबसे बड़े सरकारी स्वास्थ्य केंद्र रेफरल अस्पताल में बदइंतजामी का हाल यह है कि लाखों रुपये की अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध कराने के बावजूद टेक्नीशियन के अभाव में मशीन धूल फांक रही है.
कहा जाता है कि यहां पांच वर्ष पूर्व अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध करा दी गयी थी, ताकि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिल सके. परंतु लंबा वक्त गुजर जाने के बाद भी मशीन चलाने के लिए टेक्नीशियन की तैनाती नहीं की जा सकी. इसको लेकर लोगों में चर्चा है कि मशीन भेजने के बाद टेक्नीशियन की पोस्टिंग करना ही अधिकारी भूल गये. इसके कारण मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच के लिए अपनी जेब ढीली करने के साथ प्राइवेट जांच घरों पर लाइन लगानी पड़ रही है. अस्पताल की यह स्थिति महीने-दो महीने की नहीं है. यहां पिछले चार-पांच वर्षों से अल्ट्रासाउंड जांच का काम बंद है. इस संबंध में अस्पताल के प्रबंधक जितेंद्र कुमार ने बताया कि टेक्नीशियन की कमी से अल्ट्रासाउंड कक्ष बंद है. उन्होंने कहा कि इसके लिए वरीय अधिकारी को सूचित कर दिया गया है. शिकायतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग का ध्यान इस तरफ नहीं है.इन सेवाओं की है जरूरत
एक अस्पताल कर्मी ने बताया कि इतने बड़े अस्पताल में, स्किन, नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ, सर्जरी, इमरजेंसी सर्विस, लैब, ब्लड बैंक आदि की सख्त जरूरत है. इसी तरह रेडियोलॉजिस्ट सहित सर्जरी शुरू करने की भी जरूरत है. बेहतर चिकित्सा के लिए अस्पताल में सिटी स्कैन, ड्रेसर, इमरजेंसी स्टाफ और आधुनिक ओटी की भी जरूरत है. हालांकि ये सारे संसाधन उपलब्ध नहीं होने से अस्पताल मात्र प्राथमिक उपचार का केंद्र बनकर रह गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है