प्रतिनिधि, सीवान. आमतौर पर यह धारणा है कि सेब की खेती केवल पहाड़ी और ठंडे इलाकों में ही संभव है. लेकिन गोरेयाकोठी प्रखंड के शादीकपुर के युवा किसान ऋतुराज द्विवेदी ने इस सोच को गलत साबित कर दिखाया है. उन्होंने 40 डिग्री तापमान में हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध सेब की किस्म हरमन टी-99 को अपने खेत में सफलतापूर्वक उगाकर क्षेत्र में एक नई मिसाल पेश की है. अब उनके खेतों में लगे सेब के पौधे फल देने लगे हैं और यह प्रयास पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. किसान ऋतुराज ने बताया कि तीन वर्ष पूर्व हिमाचल प्रदेश भ्रमण के दौरान उन्हें गर्म क्षेत्रों में उगाये जा सकने वाले टी-99 किस्म के सेब के बारे में जानकारी मिली. वहीं से प्रेरित होकर दो वर्ष पहले 20 पौधे टिशु कल्चर के रूप में लेकर आये और गांव में करीब डेढ़ कट्ठा जमीन पर रोप दिया. दो वर्षों की मेहनत के बाद अब पौधे छह फुट से भी अधिक ऊंचे हो चुके हैं और उनमें फल भी आ चुके हैं. उन्होंने बताया कि टी-99 वेरायटी की खासियत यह है कि यह गर्म जलवायु में भी फल दे सकता है और इसकी देखरेख में बहुत अधिक संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती. हल्की सिंचाई, जैविक खाद और थोड़े-बहुत रख-रखाव से यह पौधा न केवल जीवित रहता है, बल्कि बेहतर उत्पादन भी देता है. एक पेड़ पर सालाना खर्च महज 50 से 100 रुपये आता है, जबकि इसकी उम्र 25 से 30 वर्ष तक की हो सकती है. इससे दीर्घकालिक और सतत आमदनी की संभावना रहती है. ऋतुराज जैविक खेती के पक्षधर हैं और उर्वरक व कीटनाशकों के रूप में केवल जैविक सामग्री का ही उपयोग करते हैं. उनका मानना है कि जैविक खेती से न सिर्फ लागत घटती है, बल्कि उत्पाद भी अधिक पोषक और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं.
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