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पूर्णिया में मुमकिन नहीं आंखों के गंभीर रोगों का इलाज, नेपाल जाते हैं मरीज

पूर्णिया : जिले में सरकारी स्तर पर आंखों के गंभीर मामलों के इलाज की व्यवस्था सरकारी स्तर पर नदारद है.

पूर्णिया, सत्येंद्र सिन्हा गोपी : प्रमंडलीय मुख्यालय में जीएमसीएच यानी मेडिकल काॅलेज हॉस्पीटल शुरू हो गया, पर विडंबना है कि अगर आपकी आंखों में कोई गंभीर बीमारी हो जाए और ऑपरेशन की नौबत हो तो आपको या तो किसी निजी डॉक्टर की शरण में जाना होगा अथवा पड़ोसी देश नेपाल के अस्पताल में भर्ती होना होगा. अक्सर लोग विवश होकर यही कर भी रहे हैं, क्योंकि जिले में सरकारी स्तर पर आंखों के गंभीर मामलों के इलाज की व्यवस्था सरकारी स्तर पर नदारद है.

निजी डॉक्टरों के भरोसे मरीज

जीएमसीएच ही नहीं, पूरे जिले में आंखों के विशेषज्ञ डाॅक्टरों की पदस्थापना नहीं हो सकी है. सरकारी अस्पतालों में नेत्र विशेषज्ञ डाॅक्टरों के पद रिक्त पड़े हैं. दरअसल, सरकारी तौर पर पूर्णिया में नेत्र विशेषज्ञ डाॅक्टर उपलब्ध नहीं हैं. प्रमंडल से सटकर नेपाल है, जहां सारी सुविधाएं सुलभ हैं. यही कारण है कि नेत्र रोग से पीड़ित मरीज निजी डाॅक्टर या सर्जन अथवा नेपाल जाना पसंद करते हैं. उपलब्ध जानकारी के अनुसार न सिर्फ जिला मुख्यालय में, बल्कि जिले के सभी 14 प्रखंडों में किसी भी स्वास्थ्य केंद्र अथवा अनुमंडलीय अस्पताल में एक भी सरकारी नेत्र चिकित्सक पदस्थापित नहीं हैं.

जीएमसीएच में प्रतिदिन आते हैं 80 मरीज

दूसरी ओर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल स्थित ओपीडी विभाग में सामान्य तौर पर आंखों की जांच और उपचार की व्यवस्था के शुरू होने के बाद मेडिकल कॉलेज में नेत्र रोगियों की संख्या में इजाफा तो जरूर हुआ है, लेकिन ऑपरेशन के मामले में अब भी यह मेडिकल कॉलेज ओटी के तैयार होने की प्रतीक्षा कर रहा है. जीएमसीएच के ओपीडी में प्रतिदिन 80 के लगभग मरीज आंखों की विभिन्न समस्याओं को लेकर पहुंचते हैं. इनमें से लगभग आधा दर्जन मोतियाबिंद की समस्या से ग्रसित पाये जाते हैं. इसके अलावा गंभीर मामलों में जीएमसीएच में सुविधा उपलब्ध नहीं होने की वजह से मजबूरन ऐसे मरीजों को इलाज लिए अन्यत्र जाना पड़ता है.

पूर्व में सदर अस्पताल का आंख विभाग था कार्यरत

जीएमसीएच की स्थापना से पूर्व सदर अस्पताल में एक आंख विभाग भी कार्यरत था, जहां नेत्र रोग विशेषज्ञ सर्जन की भी पदस्थापना थी. उनके द्वारा नेत्र जांच एवं मोतियाबिंद ऑपरेशन बिलकुल मुफ्त किया जाता था. बाद के दिनों में यहां पदस्थापित चिकित्सक का तबादला हो गया और यहां आंख के मरीजों के लिए सेवा बंद हो गयी. फिलहाल जीएमसीएच के ओपीडी में आंख के मामले में स्लिट लैंप परीक्षण से आंखों की संरचनाओं, कॉर्निया, आइरिस, विटेरस एवं रेटिना की जांच की जाती है. ओप्थैल्मिक टेस्ट के माध्यम से दृष्टि एवं आंखों के स्वास्थ्य के बारे में पता लगाया जाता है. ट्रॉमा के मामलों में आंखों में किसी भी तरह के जख्म एवं परदे में दिक्कत की जांच की सुविधा है.

प्रखंडों में नेत्र सहायक से ली जाती है मदद

जिले के लगभग सभी प्रखंडों में एक भी सरकारी नेत्र चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं. पर, आम लोगों की सहायता के लिए लगभग आठ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं अनुमंडलीय अस्पताल में नेत्र सहायक की तैनाती की गयी है. इनके द्वारा संबंधित नेत्र रोगियों को रजिस्टर्ड स्वयंसेवी संगठनों से संबंधित नेत्रालय भेज कर उनके आंखों का निशुल्क ऑपरेशन करवाया जाता है. इसके एवज में सरकार द्वारा प्रति मरीज कुछ धनराशि संबंधित अस्पताल को उपलब्ध कराया जाता है. कई ऐसे मरीज भी हैं, जो आयुष्मान कार्ड की मदद से अपना इलाज रजिस्टर्ड अस्पतालों में करवाते हैं, जिसका भुगतान सरकारी स्तर पर किया जाता है. मरीज को कुछ भी खर्च करने की जरूरत नहीं होती.

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होने वाली है चिकित्सकों की बहाली : सीएस

जिले में हैंड्स की कमी को देखते हुए उपलब्ध संसाधनों से ही मरीजों को सहायता प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है. बहुत ही जल्द इस दिशा में प्रगति होने की संभावना है. सरकार द्वारा जल्द ही बड़ी संख्या में चिकित्सकों की बहाली होनेवाली है. वेकेंसी के साथ साथ चिकित्सकों की सूची भी तैयार की जा रही है. हर फील्ड के विशेषज्ञ चिकित्सकों की बहाली होगी. (डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया, सिविल सर्जन)

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Prashant Tiwari
Prashant Tiwari
प्रशांत तिवारी डिजिटल माध्यम में पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में एक्टिव हैं. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी से करके राजस्थान पत्रिका होते हुए फिलहाल प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम तक पहुंचे हैं, देश और राज्य की राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखते हैं. साथ ही अभी पत्रकारिता की बारीकियों को सीखने में जुटे हुए हैं.

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