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लोकसभा चुनाव 2024: बिहार की इन 7 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार

बिहार की सात सीट नवादा, पूर्णिया, किशनगंज, सीवान, महाराजगंज, काराकाट ओर अररिया में त्रिकोणात्मक संघर्ष की तस्वीर बन रही है. इन सीटों पर उम्मीदवार कौन हैं. जानिए

कैलाशपति मिश्र,पटना

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार में एनडीए और महागठबंधन की सूची लगभग जारी हो गयी है. दोनों धड़ों के उम्मीदवार चुनाव प्रचार और स्थानीय रणनीति बनाने में जुट गये हैं. दोनों गठबंधनों के दो कोण के अलावे कई सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार भी तीसरा कोण बनाने में जुट गये हैं. नवादा, पूर्णिया, किशनगंज, सीवान, महाराजगंज, काराकाट ओर अररिया लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार लड़ाई का तीसरा कोण बनाने में लगे हैं. इन सीटों पर त्रिकोणात्मक संघर्ष के आसार बनते दिख रहे हैं.

सभी सियासी दलों के बागी उम्मीदवार भी चुनाव लड़ने का एलान कर अपनी ही पार्टी के धुरंधरों को रन आउट करने पर आमदा हैं. वे चुनावी अखाड़े में प्रतिद्वंद्वी को धोबी पछाड़ देने की मंशा के साथ-साथ इमोशनल कार्ड भी खेलने लगे हैं. इसमें कुछ राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हैं, तो कुछ क्षेत्र विशेष की जातीय समीकरण में खुद को फिट बैठने के कारण मैदान में हैं. तीनों कोणों में ऊंट किस करवट बैठेगा, यह फिलहाल नहीं कहा जा सकता है.

नवादा में बन रहा है राजनीतिक त्रिकोण

बिहार की नवादा लोकसभा सीट राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनौती बनती जा रही है. भाजपा के चुनावी रथ को रोकने के लिए राजद ने यहां से कोइरी जाति से आने वाले श्रवण कुशवाहा को मैदान में उतारा है. पिछले दो चुनावों से यह लोकसभा सीट एनडीए की झोली में जाती रही है. लेकिन राजद के कोइरी उम्मीदवार के खिलाफ उनके ही सिपहसलार रहे पूर्व विधायक राजवल्लभ यादव ने अपने संबंधी विनोद यादव को मैदान में उतार दिया है.

विनोद यादव के समर्थन में राजद के दो विधायकों ने लालू प्रसाद यादव के फैसले के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है. यह दोनों विधायकों ने राजद प्रत्याशी श्रवण कुशवाहा का खुलकर विरोध कर दिया है. दरअसल,अब तक राजवल्लभ यादव की सहमति से ही नवादा में टिकट बंटवारा होता रहा है, लेकिन इस बार लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने राजवल्लभ परिवार की बजाय कोइरी जाति से आनेवाले श्रवण कुशवाहा को मैदान में उतारा है. इस क्षेत्र में भाजपा के विवेक ठाकुर, राजद के श्रवण कुशवाहा और विनोद यादव के बीच मुकाबला होने वाला है. इस क्षेत्र में भूमिहार, यादव, कोइरी और अन्य जातियों की अच्छी खासी संख्या है.

काराकाट लोकसभा क्षेत्र में भोजपुरी स्टार पवन सिंह के इंट्री से मामला त्रिकोणीय होने की संभावना

काराकाट में एनडीए उम्मीदवार के तौर पर उपेंद्र कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं. वहीं,महागठबंधन की ओर से भाकपा माले के राजाराम सिंह उन्हें चुनौती दे रहे हैं. लेकिन बुधवार को भोजपुरी स्टार पवन सिंह की काराकाट से चुनाव लड़ने की घोषणा से यहां की चुनाव लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. पवन सिंह के मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. उपेंद्र कुशवाहा और राजाराम सिंह दोनों कुशवाह समुदाय से आते हैं. इस क्षेत्र में कुशवाहा मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है. पवन सिंह राजपूत जाति से आते हैं, इस क्षेत्र में उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है. 2014 में, इस सीट पर एनडीए उम्मीदवार के तौर पर उपेंद्र कुशवाहा ने चुनाव जीता था. हालांकि, 2019 में किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और वह जदयू के महाबली सिंह से हार गये.

पूर्णिया के लोकसभा चुनाव को पप्पू यादव ने बनाया त्रिकोणीय

लोकसभा चुनाव को लेकर पूर्णिया में अब त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है. एक तरफ जहां राजद ने बीमा भारती को अपना उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं, जदयू के निवर्तमान सांसद संतोष कुशवाहा को पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है. तीसरे उम्मीदवार पप्पू यादव हैं, जो कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय मैदान में हैं.

पप्पू यादव यहां से निर्दलीय सांसद भी रह चुके हैं. पूर्णिया में एक तरफ जहां एनडीए में शामिल पार्टी भाजपा,जदयू, लोजपा-रा और हम का जनाधार है, तो वहीं,महागबंधन के वोट में बिखराव हो सकता है. हालांकि राजद उम्मीदवार बीमा भारती क्षेत्र में माई समीकरण के अलावे अन्य जातियों को जोड़ने में जुटी है. पप्पू यादव अपने पुराने संबंध का हवाला देकर लोगों को इमोशनली अपने खेमे में करने के लिए दिन रात एक किये हुए हैं.

किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में एआइएमआइएम ने बनाया चुनाव को त्रिकोणीय

किशनगंज लोकसभा सीट पर भी त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला होने की उम्मीद है. एनडीए की ओर से मुजाहिद आलम जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, तो मौजूदा सांसद डॉ मो जावेद आजाद महागठबंधन के उम्मीदवार हैं. वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के उम्मीदवार अख्तरुल ईमान की एंट्री ने यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.

एआइएमआइएम की मुस्लिम बहुल किशनगंज और सीमांचल क्षेत्र के अन्य हिस्सों में अच्छी पकड़ है और इसकी मौजूदगी राजद और कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है. लोकसभा चुनाव 2019 में भी यहां त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था और यहां उम्मीदवारों के बीच जीत हार का मार्जिन बहुत कम था.

सीवान लोकसभा में भी हेना शहाब के निर्दलीय खड़ा होने से मुकाबला होगा त्रिकोणीय

मोहम्मद शहाबुद्दीन की वजह से हमेशा से सीवान लोकसभा क्षेत्र चर्चा में रहा है. हालांकि मोहम्मद शहाबुद्दीन अब नहीं रहे, लेकिन उनकी बेगम हेना शहाब की इस सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा से सीवान की लड़ाई त्रिकोणीय होने की संभावना है. 2014 और 2019 में राजद ने शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शहाब को टिकट दिया था, लेकिन वो चुनाव नहीं जीत पायी थीं.

इस बार जदयू ने यहां विजयलक्ष्मी कुशवाहा पर दांव खेला है. जबकि राजद अवध बिहारी चौधरी पर दांव लगा सकता है. तीनों के मैदान में उतरने के कारण मामला त्रिकोणीय होता दिखाई दे रहा है.यह सीट माले की गतिविधि को लेकर भी जाना जाता रहा है.

सच्चिदानंद राय की घोषणा से महाराजगंज में त्रिकोणीय मुकाबला

अब भाजपा के उनके पुराने साथी सच्चिदानंद राय महाराजगंज से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. उनकी इस घोषणा से वहां कि लड़ाई त्रिकोणीय होने की संभावना है. हालांकि महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गयी है और कौन उम्मीदवार होगा इसकी घोषणा अभी तक नहीं हुई है. एनडीए की ओर से भाजपा के उम्मीदवार सीटिंग सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल हैट्रिक लगाने की तैयारी में है.

महाराजगंज सीट की खासियत यह है कि यहां से अब तक 14 से ज्यादा बार राजपूत जाति के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. महाराजगंज के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर राजपूत की संख्या सबसे ज्यादा है, लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ राजपूतों के जरिए ही हार जीत तय होती हो. महाराजगंज में भूमिहार और यादव वोट बैंक भी मायने रखता है. इसके अलावा मुस्लिम वोटों की भी निर्णायक संख्या है.

अररिया में तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज भी कर रहे दावेदारी

अररिया की सीट पर एनडीए से भाजपा के मौजूदा सांसद प्रदीप सिंह और महागठबंधन में राजद के पूर्व मंत्री शाहनवाज आलम के बीच मुकाबला होने वाला है. इसी बीच पूर्व मंत्री सरफराज आलम ने भी इस सीट पर अपना दावा ठोका है. सरफराज आलम और शाहनवाज आलम दोनों ही पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. सरफराज ने यहां नामांकन का परचा भरा, तो यहां भी त्रिकोणात्मक संघर्ष की तस्वीर बन जायेगी.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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