Bihar: बिहार के वैशाली में एक दिल दहला देने वाले सड़क हादसे ने मधेपुरा के लालिया गांव की रूपा की जिंदगी हमेशा के लिए छीन ली. परिवार ने बेटी की शादी बिना दहेज के की थी, लेकिन भाग्य ने ऐसा खेल खेला कि शादी की खुशियां मातम में बदल गईं. शादी के कुछ ही घंटे बाद रूपा की कार की टक्कर एक ट्रक से हो गई. हादसे में रूपा समेत ससुराल पक्ष की तीन और महिलाओं की जान चली गई.
मवेशी पालने वाले बाप के घर की चौथी बेटी थी रूपा
रूपा के पिता हंसराज मंडल मवेशी पालकर दूध बेचते हैं. पत्नी की मौत के बाद छह बच्चों की जिम्मेदारी अकेले संभाल रहे थे. पहले ही तीन बेटियों की शादी कर चुके थे. रूपा उनकी चौथी बेटी थी. इस शादी के लिए उन्होंने कोई दहेज नहीं दिया — सिर्फ बेटी की खुशहाली का सपना देखा था.
जिसने रिश्ता तय किया, उसी की आंखों के सामने बुझ गई बहन
शादी का प्रस्ताव मंझली बेटी कविता के पड़ोसी क्रांति कुमार ने दिया था. उसी बहन ने ये रिश्ता जोड़ा, लेकिन अब वही बहन आंखों के सामने अपनी छोटी बहन की चिता जलते देख रही है. बहन कविता ने कहा, “मेरे पांच छोटे बच्चे हैं, शादी में नहीं जा सकी। पर अब लगता है कि आखिरी बार भी नहीं देख सकी उसे.”
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भागलपुर में हुआ अंतिम संस्कार, टूट गया पूरा परिवार
रूपा का अंतिम संस्कार भागलपुर के गंगा घाट पर किया गया. फुफेरे भाई अखिलेश ने मुखाग्नि दी। हंसराज मंडल की आंखों से आंसू सूख चुके हैं. उन्होंने कहा, “भोजन जुटा पाना भी मुश्किल होता है. अब इस सदमे से कैसे उबरेंगे, समझ नहीं आता.”