चंदन कुमार/बांका/बिहार: पिछले दो दिनों से हो रही है झमाझम बारिश के बाद मौसम सुहाना हो गया है. सुल्तानगंज से कांवर लेकर कच्ची मार्ग से देवघर जा रहे शिव भक्तों में उत्साह का माहौल देखने को मिल रही है. यहां रुक-रुक कर लगातार बारिश हो रही है जिसके चलते कांवर लेकर पैदल यात्रा करने वाले कांवरिया को उमस भरी गर्मी से राहत मिली है और कांवरिया अपने इच्छा अनुसार देर रात तक पदयात्रा कर बाबा धाम की ओर जा रहे है.
प्रशासन ने बंद किया ये रास्ता
कांवरिया मार्ग की बात करें तो कुमरसार नदी जो मुंगेर और बांका के सीमावर्ती क्षेत्र में पड़ता है उस नदी में दो दिनों से हो रही बारिश के कारण अचानक जलस्तर बढ़ने और तेज पानी का बहाव होने के कारण मुंगेर पुलिस प्रशासन ने मंगलवार से ही नदी के रास्ते को पूरी तरह से बांस लगाकर बैरिकेडिंग करते हुए बंद कर दिया है. साथ ही कांवरिया रूट को बदल कर फिलहाल कुमरसार नदी के पश्चिमी तट होते हुए क्षतिग्रस्त धौरी पुल के रास्ते धौरी धर्मशाला के पास निकाल कर आवागमन बनाया गया है.
फिलवक्त कुमरसार नदी में पसरा सन्नाटा
बारिश के बाद नदी में अभी पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. स्थानीय और बाहर से नदी में फोटोग्राफी, खान-पान सहित विभिन्न तरह की व्यवसाय करने पहुंचे दुकानदारों में उदासी का माहौल बना हुआ है. जबकि घोड़े की सवारी, उस पर बैठकर फोटोग्राफी, भुट्टा, छोले-भटोरे व चाट आदि के कारोबारी में उदासी है. सभी नदी में पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं जबकि मुंगेर और बांका पुलिस प्रशासन नदी के दोनों तट पर तैनात होकर नदी की ओर किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है. स्थानीय प्रशासन कांवरियों से अपील कर रहे हैं कि नदी का जलस्तर कम होने के बाद फिर से इस रास्ता को चालू कर दिया जायेगा.
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नदी में अधिक पानी के कारण कांवरिया नहीं ले पा रहे हैं यादगार तस्वीरें
सुल्तानगंज से देवघर के बीच कुमरसार नदी जो सुल्तानगंज से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर पड़ता है. ऐसा माना जाता है कि कांवरिया जब सुल्तानगंज की ओर से पदयात्रा कर बाबा धाम की ओर जाते हैं तो कुमरसार नदी में बैठकर कुछ पल बिताते हैं. यहां के नदी में बैठ कर अपनी थकान को दूर करते हैं और नदी में डुबकी लगाते हुए कांवर यात्रा का आनंद भी लेते हैं. जबकि अधिकांश कांवरिया की बात करें तो नदी में मौजूद घोड़ा पर बैठकर आनंद लेते हैं और कुछ तस्वीर अपने मोबाइल और फोटोग्राफर के माध्यम से कैद भी करते हैं. जो तस्वीर यादगार होती है लेकिन फिलनक्त नदी में अधिक पानी और तेज बहाव होने के कारण कांवरिया नदी नहीं जा रहें है मन की कसक अधूरी रह रही है.