Bihar Cabinet Expansion: साल के अंत में होने वाले चुनाव में जाने से पहले बिहार की नीतीश सरकार ने बुधवार को अपना आखिरी कैबिनेट विस्तार किया है. इसमें कुल 7 विधायक कृष्ण कुमार मंटू, विजय मंडल, राजू सिंह, संजय सारावगी, जीवेश मिश्रा, सुनील कुमार और मोती लाल प्रसाद ने मंत्री पद की शपथ ली. इन सभी चेहरों में सबसे नया नाम मोतीलाल प्रसाद का है. ऐसे में आइए जानते हैं कि चुनावी साल में बीजेपी ने मोतीलाल प्रसाद पर क्यों लगाया दांव.
दूसरी बार के विधायक हैं मोतीलाल प्रसाद
सीतामढ़ी जिले के रीगा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक मोतीलाल प्रसाद दूसरी बार के विधायक हैं और वैश्य समाज से आते हैं. वह पहली बार 2010 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव में जीतकर विधायक बने और विधानसभा पहुंचे. लेकिन 2015 में जदयू के आरजेडी के साथ गठबंधन होने की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लेकिन किस्मत ने एक बार फिर उनका साथ दिया और वह 2020 के विधानसभा चुनाव में दूसरी बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे और अब मंत्री पद की शपथ लेंगे.

कोर वोट बैंक का बीजेपी ने रखा ख्याल
दरअसल, नीतीश कैबिनेट के विस्तार से पहले बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल वैश्य समाज से आते हैं और नीतीश सरकार में मंत्री हैं. उन्होंने पार्टी के एक व्यक्ति एक पद के फॉर्मूले पर चलते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद उन्हीं के समाज से आने वाले मोतीलाल प्रसाद को बीजेपी ने मंत्री बनाया है. इसके साथ ही यह भी बात है कि रीगा में वैश्य समाज के वोटर अच्छी संख्या में हैं. इससे पहले सुनील कुमार पिंटू और रामवृक्ष चौधरी भी वैश्य समाज से मंत्री रह चुके हैं। प्रसाद को मंत्री बनाकर बीजेपी अपने कोर वोटरों को संदेश देना चाहती है कि वह अपने वोट बैंक का ख्याल रखती है.