23.8 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

530 दिन बाद जेल से बाहर आए मनीष सिसोदिया, सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत, बोले AAP नेता- लोकतंत्र की हुई जीत

Manish Sisodia Bail: आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शुक्रवार को जेल से रिहा हो गये हैं. 17 महीनों की जेल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Manish Sisodia Bail: आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शुक्रवार को जेल से रिहा हो गये हैं. 17 महीनों की जेल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है. दिल्ली की आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अब समय आ गया है कि निचली अदालतें और हाई कोर्ट इस सिद्धांत को स्वीकार करें कि जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद. कोर्ट ने जमानत पर मुहर लगाते हुए कहा कि सिसोदिया की समाज में गहरी पैठ है और उनके देश छोड़कर जाने की कोई आशंका नहीं है.

लोकतंत्र की हुई जीत- AAP नेता
दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में AAP नेता मनीष सिसोदिया को मिली जमानत पर आप सांसद संदीप पाठक ने कहा कि यह बहुत बड़ी जीत है. उन्होंने कहा कि यह जीत अकेले हमारी नहीं है, ये जीत इस देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की जीत है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि तानाशाही इस तरह से नहीं चलेगी और जिस तरह से एजेंसियां ​​काम कर रही हैं, उसके लिए उन्हें कड़ी फटकार लगाई गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों से कहा कि मामले की सुनवाई शुरू हुए बिना लंबे समय तक जेल में रखे जाने से वह शीघ्र सुनवाई के अधिकार से वंचित हुए हैं. दोनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर सिसोदिया 10 लाख रुपये के जमानती बॉण्ड और इतनी ही धनराशि के दो निजी मुचलके भरने के बाद उनके जेल से बाहर आ गये. कोर्ट ने जमानत की शर्तें तय करते हुए कहा कि उन्हें अपना पासपोर्ट विशेष अधीनस्थ न्यायालय में जमा कराना होगा. इसके अलावा वह न तो किसी गवाह को प्रभावित करने का प्रयास करेंगे और न ही सबूतों से छेड़छाड़ करेंगे. इसके अलावा सिसोदिया हर सोमवार और गुरुवार को 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के समक्ष पेश होना होगा.

नहीं रोकी जानी चाहिए जमानत- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि समय के साथ न्यायालय ने पाया कि निचली अदालतें और हाई कोर्ट कानून के एक बहुत ही स्थापित सिद्धांत को भूल गए हैं कि सजा के तौर पर जमानत नहीं रोकी जानी चाहिए. पीठ ने कहा कि हमारे अनुभव से हम कह सकते हैं कि ऐसा प्रतीत होता है कि निचली अदालतें और हाई कोर्ट जमानत देने के मामले में बचने का प्रयास करते हैं. यह सिद्धांत कि जमानत एक नियम है और इनकार एक अपवाद है, कभी-कभी इसका उल्लंघन किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि सीधे सरल और पेचीदा मामलों में भी जमानत न दिए जाने के कारण सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिकाओं की बाढ़ सी आ गई है. इससे लंबित मामलों की संख्या और बढ़ गई है.

Also Read: Waqf Bill 2024: असदुद्दीन ओवैसी, निशिकांत दुबे, मौलाना मोहिबुल्लाह… जेपीसी में शामिल हुए लोकसभा के 21 सदस्य

रूसी इलाके में घुसे 1000 से ज्यादा यूक्रेनी सैनिक, छिड़ी है भयंकर जंग, देखें वीडियो

Pritish Sahay
Pritish Sahay
12 वर्षों से टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में सेवाएं दे रहा हूं. रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पढ़ाई की है. राजनीतिक, अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ-साथ विज्ञान और ब्रह्मांड विषयों पर रुचि है. बीते छह वर्षों से प्रभात खबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने के बाद डिजिटल जर्नलिज्म का अनुभव काफी अच्छा रहा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel