संवाददाता, बेरमो, सरकारी कर्मचारियों सहित सभी श्रमिकों के लिए बोनस की मांग करने वाले पहले मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ का 71वां स्थापना दिवस 23 जुलाई को है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक माधव राव सदाशिव गोलवलकर ने वरिष्ठ प्रचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी को श्रमिकों के बीच काम करने को कहा. उन्होंने 23 जुलाई 1955 को भोपाल के कपड़ा मिल में बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जन्मतिथि पर भारतीय मजदूर संघ की स्थापना की. उस समय देश में चार प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठन एटक, इंटक, एचएमएस और यूटीयूसी का दबदबा था. भामसं ने विश्वकर्मा जयंती को राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाना शुरू किया. वर्ष 1989 में भारत सरकार द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में भामसं देश का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन बना. वर्ष 2022 में एक करोड़ 71 लाख की सदस्यता के आधार पर देश का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन बना. इसके आधार पर भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के सम्मेलन में भामसं प्रतिनिधित्व करता है. आज यह संगठन देश के 32 राज्यों तथा 44 श्रम उद्योगों में काम कर रहा है. भामसं की स्थापना से पहले अन्य मजदूर संगठन राजनीतिक पार्टियों से संबंधित थे. भामसं ने गैर राजनीतिक संगठन के रूप में कार्य प्रारंभ किया. इसके सूत्र थे- देश हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम, बीएमएस की क्या पहचान- त्याग, तपस्या और बलिदान. भामसं विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) का विरोध तथा संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार से मांग करता रहा है. कोल इंडिया की सबसे बड़ी कमेटी जेबीसीसीआइ में भामसं की ओर से टीसी जुमडे, डॉ बीके राय, सुरेंद्र पांडे आदि ने कई बार कोयला मजदूरों का प्रतिनिधित्व किया. संघ में कई बड़े नेता हुए, जिन्होंने देश स्तर पर मजदूरों का प्रतिनिधित्व किया. इनमें दत्तोपंत ठेंगड़ी के अलावा रामनरेश सिंह, टीसी जुमड़े, डॉ बीके राय, नरेशचंद्र गांगुली, पंडित रामप्रकाश मिश्रा, ओमप्रकाश अघी, विनय कुमार सिंह, ब्रजेश उपाध्याय, जयनारायण शर्मा के अलावा झारखंड में संघ के बड़े नेताओं में कुमार अर्जुन सिंह, रघुवंश नारायण सिंह, महादेव सिंह, प्रदीप कुमार दत्त, पारसनाथ ओझा, पूर्व विधायक समरेश सिंह, रुद्र प्रताप षड़ंगी, पूर्व सांसद रीतलाल प्रसाद वर्मा, दीनानाथ पांडे, यमुना तिवारी आदि थे. बेरमो में भामसं के पुराने नेताओं में गुनेश्वर प्रसाद, उमाशंकर सिंह, स्व केडी सिंह, पूर्व मंत्री स्व लालचंद महतो, बनारसी सिंह, केशव जी, रामबाबू, सुरेश सिंह, केके झा, रामकेवल सिंह, बिंदू सिंह, संत सिंह थे. वर्तमान में भामसं के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरण्यमय पांड्या तथा राष्ट्रीय महामंत्री रवींद्र हेमते हैं. केंद्रीय संगठन मंत्री बी सुरेंद्रण हैं. वहीं झारखंड प्रदेश बीएमएस के अध्यक्ष बलराम यादव, महामंत्री राजीव रंजन सिंह तथा संगठन मंत्री ब्रजेश कुमार हैं.
आने वाला समय चुनौतियों से भरा है : रवींद्र मिश्रा
भामसं के वरीय नेता एवं अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ पेंशन सेल के सदस्य रवींद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि आने वाला समय चुनौतियों से भरा है. असंगठित क्षेत्र में काम करना होगा और संगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी सुरक्षित रखना होगा. भामसं राष्ट्र हित, उद्योग हित व मजदूर हित की बात करता है. 80-90 के दशक में भारत में डब्ल्यूटीओ का प्रवेश हुआ तो भामसं ने नारा दिया था, तोड़ो, मोड़ो और छोड़ो. उस वक्त की सरकार अगर सचेत रहती तो आज उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण सहित कई तरह की मजदूर व उद्योग विरोधी नीतियां लागू नहीं होती.ढोरी में आज होंगे कई कार्यक्रम
भारतीय मजदूर संघ के स्थापना दिवस पर सीसीएल सीकेएस के तत्वाधान में ढोरी खास स्थित संघ के क्षेत्रीय कार्यालय में कई कार्यक्रम किये जायेंगे. मुख्य अतिथि गिरिडीह के पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय व विशिष्ट अतिथि ढोरी जीएम रंजय सिन्हा होंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है